नई दिल्ली। कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े पहलवानों ने आज मेडल को हरिद्वार जाकर गंगा नदी में बहा देने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद वो इंडिया गेट पर आमरण अनशन शुरू करेंगे।
पहलवान बजरंग पुनिया ने लिखा कि 28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा। पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया। हमें कितनी बर्बरता के साथ गिरफ्तार किया गया। हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे। हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई। क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है। पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियां कस रहा है। टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है।
बजरंग पुनिया ने लिखा कि बृजभूषण POCSO एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है। हम महिला पहलवान अंदर से इतना ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है। हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे। अब लग रहा है कि क्यों जीते थे। क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे। हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे।
कल से कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं
कल पूरे दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं। तंत्र को पकड़ना आरोपी को चाहिए था लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है। अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है। इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना।
राष्ट्रपति ने भी हमारी परेशानी पर कुछ नहीं बोला
बजरंग पुनिया ने कहा कि यह मेडल किसे लौटाएं। हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं। मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ 2 किलोमीटर बैठी सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं। हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे। मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध – बुध नहीं ली। बल्कि नयी संसद के उद्घाटन में आरोपी बृजभूषण को बुलाया और वह तेज सफेदी वाली चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था। उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी। मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं।
गंगा पवित्र जगह जहां हम अपने मेडल को रख सकते हैं
ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फायदा लेने के बाद आरोपी के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र। मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं। इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा। इसलिए हम आज इसे गंगा में बहाने जा रहे।
बता दें कि, नई संसद के बाहर रविवार को बुलाई गई ‘महिला महापंचायत’ के लिए कूच करने के दौरान जंतर-मंतर पर पहलवानों और दिल्ली पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद पुलिस ने पहलवानों और प्रदर्शनाकारियों को हिरासत में ले लिया था। इसके बाद पुलिस ने जंतर-मंतर पर लगे पहलवानों के तंबू और सामानों को वहां से हटाकर इस इलाके को जबरन खाली करा दिया था। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के विरोध-प्रदर्शन को लेकर पहलवान, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और विनेश फोगाट के साथ-साथ आयोजकों और उनके समर्थकों के खिलाफ रविवार को आईपीसी की आठ धाराओं में एफआईआर दर्ज की है। आईपीसी की धाराओं- 188, 186, 353 332, 352,147,149 और धारा 3 के तहत दर्ज एफआईआर में इन सभी पर दंगा करने तथा सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं।
पुलिस की इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए पहलवान विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने कहा था कि दिल्ली पुलिस को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में सात दिन लग गए थे, लेकिन उन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने में सात घंटे भी नहीं लगे, जो ‘शांतिपूर्वक’ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।
Discussion about this post