नई दिल्ली। भारत की सरकार एजेंडा चलाने वाली ग्लोबल रैंकिंग एजेंसियों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने यह जानकारी दी है।
पीएम मोदी के इकॉनमिक एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य संजीव सान्याल ने रॉयटर्स के साथ इंटरव्यू में यकहा कि भारत इस मामले को ग्लोबल फोरम पर लेकर जा रहा है। सान्याल का कहना है कि यह रैंकिंग्स थिंक टैंक के एक छोटे समूह द्वारा तैयार की जा रही हैं। इन्हें खास एजेंडा चलाने वाली तीन-चार एजेंसियों से फंडिंग हो रही है। उन्होंने कहा कि इससे सिर्फ नैरेटिव सेट नहीं किया जा रहा है, बल्कि इसका व्यापार, निवेश और अन्य गतिविधियों पर इसका असर पड़ रहा है।
सान्याल ने कहा कि पिछले एक साल में भारत ने विभिन्न बैठकों में विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) जैसे संस्थानों के सामने यह मुद्दा उठाया है। साथ ही इन इंडेक्स को तैयार करने में संस्थानों द्वारा जो तरीके इस्तेमाल हो रहे हैं, उनकी खामियों के बारे में भी बताया गया है।
चर्चा में शामिल विश्व बैंक
सान्याल ने कहा कि विश्व बैंक इस चर्चा में शामिल है क्योंकि वह इन थिंक टैंकों से राय लेता है और साथ ही इसे वर्ल्ड गवर्नमेंट इंडेक्स में शामिल भी करता है। सान्याल ने कहा कि इन रेटिंग्स में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) जैसे पहलू भी शामिल रहते हैं। उन्होंने कहा कि ईएसजी नॉर्म्स के साथ चलने में कोई समस्या नहीं है। लेकिन देखने वाली बात यह है कि इन नॉर्म्स को कौन डिफाइन करता है और कौन इन्हें सर्टिफाई करता है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस मामले को कैबिनेट सचिवालय तक ले जाया गया है, जिसकी इस साल इस मुद्दे पर दर्जन भर से अधिक मीटिंग्स होने वाली हैं। हालांकि सान्याल ने यह नहीं बताया कि भारत ने जी-20 बैठक के दौरान रैंकिंग्स का यह मु्द्दा उठाया था या नहीं।
आपको बता दें कि हाल ही में रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (Reporters Without Borders) की तरफ से जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत को रैंकिंग में अफगानिस्तान और पाकिस्तान से नीचे दिखाया गया है। वी-डेम इंस्टीट्यूट द्वारा एकेडमिक फ्रीडम इंडेक्स में भारत को पाकिस्तान और भूटान से भी नीचे के स्थान पर रखा था।
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