18 साल का होते ही वोटर लिस्ट में खुद जुड़ जाएगा नाम, संसद में विधेयक लाएगी सरकार

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नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार संसद के आगामी मानसून सत्र में एक बिल पेश करने जा रही है, जो रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (महापंजीयक) को राष्ट्रीय स्तर पर जन्म और मृत्यु के पंजीयन का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाए रखने की अनुमति देगा। इस डेटा का इस्तेमाल मतदाता सूची, जनसंख्या रजिस्टर, आधार, पासपोर्ट, राशन कार्ड आदि को अपडेट करने के लिए किया जा सकता है। सबसे खास बात यह है कि 18 साल का होने पर खुद ब खुद वोटर कार्ड बन जाएगा और लोगों को इसके लिए निर्वाचन कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सरकार जन्म और मृत्यु से जुड़े आंकड़ों को मतदाता सूची और समग्र विकास प्रक्रिया से जोड़ने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय ‘जनगणना भवन’ का उद्घाटन करते हुए शाह ने कहा कि जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जो विकास के एजेंडे का आधार बन सकती है। उन्होंने कहा कि डिजिटल, पूर्ण और सटीक जनगणना के आंकड़ों के बहुआयामी लाभ होंगे। उन्होंने कहा कि जनगणना के आंकड़ों पर आधारित योजना से यह सुनिश्चित होता है कि विकास गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे। शाह ने यह भी कहा कि यदि जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के आंकड़ों को विशेष तरीके से संरक्षित किया जाए तो विकास कार्यों की समुचित योजना बनाई जा सकती है।

18 साल को होते ही खुद बन जाएगा वोटर कार्ड
शाह ने कहा कि इस बदलाव से चुनाव आयोग एक सॉफ्टवेयर के जरिए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के कार्यालय और डेटा बेस से जुड़ा होगा और जब कभी किसी मतदाता की मौत होगी, उसकी सूचना स्वत: साफ्टवेयर के जरिए चुनाव आयोग तक पहुंच जाएगी। आयोग मतदाता की मृत्यु की सूचना के तुरंत बाद उसके नाम को मतदाता सूची से काटने की उचित प्रक्रिया अपनाएगा। शाह ने कहा कि ठीक इसी तरह किसी की उम्र 18 वर्ष होते ही मतदाता सूची में उसका नाम नए मतदाता के तौर पर स्वत: शामिल कर लिया जाएगा और उसका वोटर कार्ड बन जाएगा।

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की शक्ति बढ़ेगी
बता दें कि मौजूदा समय में जन्म और मृत्यु रजिस्टर राज्य स्तर पर संबंधित मुख्य रजिस्ट्रार द्वारा बनाकर रखा जाता है। प्रस्तावित विधेयक से परिचित लोगों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में प्रस्तावित संशोधनों का जिक्र कर रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत जन्म और मृत्यु का डेटाबेस बनाए रख सकता है और केंद्र सरकार के अनुमोदन से उसका उपयोग किया जा सकता है।

किन-किन कानूनों के तहत डेटा बेस होगा अपडेट
नए संशोधित बिल के प्रावधानों के मुताबिक, महापंजीयक नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत तैयार जनसंख्या रजिस्टर को अद्यतन करने के लिए; जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत तैयार निर्वाचक रजिस्टर या मतदाता सूची; आधार अधिनियम, 2016 के तहत तैयार किया गया आधार डेटाबेस, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के तहत तैयार राशन कार्ड डेटाबेस; पासपोर्ट अधिनियम के तहत तैयार किया गया पासपोर्ट डाटाबेस; और मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत ड्राइविंग लाइसेंस डेटाबेस और राष्ट्रीय स्तर पर अन्य डेटाबेस को अपडेट कर सकते हैं।

कहां-कहां जरूरी होगा जन्म पंजीयन
नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए जन्म और मृत्यु पंजीकरण डेटा आवश्यक होगा। इसके अलावा ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने, मतदाता सूची तैयार करने, विवाह का पंजीकरण, केंद्र सरकार या राज्य सरकार में नियुक्ति या स्थानीय निकाय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में नियुक्ति;अथवा पासपोर्ट आदि बनवाने में भी जन्म पंजीकरण डेटा जरूरी होगा।

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