वाराणसी। वाराणसी के बहुचर्चित ज्ञानवापी परिसर में मिली शिवलिंगनुमा आकृति ही नहीं, बल्कि पूरे विवादित स्थल का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से वैज्ञानिक पद्धति से जांच कराने की याचिका को जिला जज की अदालत ने मंजूर कर लिया है। जिला जज ने याचिका को स्वीकार करते हुए मुस्लिम पक्ष से तीन दिन में आपत्ति भी मांग ली है। मुस्लिम पक्ष को 19 मई को इस पर आपत्ति दाखिल करनी है। अदालत अगली सुनवाई 22 मई को करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने छह याचिकाकर्ताओं की तरफ से सर्वे की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि सनातन हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले सभी लोग यह चाहते हैं कि हमारे आराध्य आदि विश्वेश्वर से जुड़ा ज्ञानवापी का सच सामने आए। सबको यह मालूम होना चाहिए कि ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का मंदिर कब बना था? उन्होंने कहा कि इसके लिए अब हम लोगों ने अदालत से पूरे विवादित स्थल की कार्बन डेटिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने की मांग की है। अधिवक्ता ने कहा कि अनादि काल से हमारी आस्था के केंद्र रहे हमारे धर्मस्थलों को विदेशी आक्रांताओं ने तलवार के बल पर उजाड़ा था।
विष्णु जैन ने कहा कि आज भी मस्जिद के तीनों गुंबद मंदिर की दीवारों पर बने साफ दिखाई देते हैं। दीवारों पर बने ताखे, शंख, त्रिशुल आदि इस बात की पुष्टि करते हैं कि मंदिर को ही तोड़कर मस्जिद बनाया गया था। अभी एएसआई सर्वे की मांग वाली याचिका मंजूर हुई है। जिस दिन एएसआई की रिपोर्ट आएगी सब कुछ साफ हो जाएगा।
परिसर के अंदर सील किए गए इलाके का सर्वे कैसे हो सकता है? इस सवाल पर जैन ने कहा कि सीलिंग का मतलब यह नहीं होता कि कोर्ट कोई आर्डर नहीं पास कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी तरह के डिसिजन लेने के लिए जिला जज की अदालत को अधिकार दे दिया है। हाईकोर्ट ने भी 12 मई के आदेश में जिला जज को कहा है कि वह किसी भी आवेदन सुनवाई के लिए स्वतंत्र है और कोई भी आदेश दे सकता है।
जैन ने कहा कि राममंदिर की तरह यहां भी उसी तरह की चीजें निकल कर आएंगी, जैसी अयोध्या में सामने आई थीं। हमारी मांग सच्चाई से जुड़ी है। जिला जज ने हमारी याचिका को स्वीकार कर लिया है। यह हमारे लिए ज्यादा खुशी का मौका नहीं है। जब एएसआई की पूरी रिपोर्ट आएगी, तब हमारे लिए क्या खुशी की बात होगी। बिना विशेषज्ञ रिपोर्ट के यह केस पूरा नहीं हो सकता है। इसलिए ही हम लोगों ने एएसआई रिपोर्ट की मांग की है। मुस्लिम पक्ष यानी इंतजामिया कमेटी को अगर सर्वे पर आपत्ति है तो उसे 19 तक लिखित में अदालत को बताना है। अदालत 22 मई को अगली सुनवाई करेगी।
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