महाराष्ट्र संकट: एकनाथ शिंदे सरकार से खतरा टला, बड़ी बेंच को भेजा जाएगा केस

मुंबई। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार पर छाए संकट के बादल छंट गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों की अयोग्यता पर फिलहाल कोई फैसला नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया था। ऐसे में कोर्ट इस्तीफा को रद्द तो नहीं कर सकता है। हम पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकते हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच के पास जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा स्पीकर को उसी को शिवसेना का व्हिप मानना चाहिए था, जिसे पार्टी ने आधिकारिक तौर पर घोषित किया था। बेंच ने कहा कि स्पीकर को पता था कि दो गुट हैं, लेकिन उन्होंने अपने पसंद के व्हिप को मान्यता दी। उन्हें आधिकारिक व्हिप को ही मान्यता देनी थी। इस तरह सुप्रीम कोर्ट की व्हिप को लेकर की गई टिप्पणी एकनाथ शिंदे सरकार को चुभने वाली है।

नए व्हिप पर विचार करेंगे स्पीकर, पार्टी पर निर्णय EC करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि अब नए व्हिप का चयन स्पीकर द्वारा जांच के बाद किया जाएगा। यह फैसला चुनाव आयोग और विधानसभा के स्पीकर ही कर सकते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि कौन असली शिवसेना है और कौन नकली है, इस पर भी चुनाव आयोग ही विचार करेगा। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि पार्टी को लेकर फैसला होने के बाद ही विधायकों की योग्यता को लेकर फैसला किया जाएगा।

क्या है नेबाम रेबिया केस, जिस पर अदालत कर रही मंथन
फिर भी जिस तरह मामला बड़ी बेंच को भेजा गया है, उससे साफ है कि मामला लंबा खिंचने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एकनाथ शिंदे सरकार के वैध या अवैध होने पर कोई बात नहीं कही। लेकिन 2016 में दिए गए नेबाम रेबिया मामले का जिक्र करते हुए 5 जजों की बेंच ने कहा कि उसमें यह बात आई थी कि वह स्पीकर सदस्यों की योग्यता पर फैसला नहीं कर सकता, जिसके खिलाफ खुद ही प्रस्ताव आया हो।

उद्धव ठाकरे खेमे के हिस्से आया इंतजार, बड़ी बेंच करेगी विचार
अदालत ने कहा कि इस मामले को अब बड़ी बेंच के समक्ष भेजा जाएगा। साफ है कि अब इस केस की सुनवाई 7 जजों की बेंच सुनवाई करेगी। इसका मतलब है कि एकनाथ शिंदे सरकार पर कोई खतरा नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच की सुनवाई में लंबा वक्त लगेगा। इस तरह सुप्रीम कोर्ट का फैसला उद्धव ठाकरे गुट के लिए झटके की तरह है।

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