इस्लामाबाद। शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) में हिस्सा लेने के लिए दो दिवसीय भारत दौरे पर आए बिलावल भुट्टो जरदारी समिट खत्म होते ही पाकिस्तान लौट गए। यहां पहुंचते ही उन्होंने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। बिलावल भुट्टो ने अपनी इस यात्रा को एक सफलता बताया।
कराची में मीडिया से बातचीत करते हुए बिलावल भुट्टो कहा, ‘BJP और RSS दुनिया में मुस्लिमों और हर पाकिस्तानी को आतंकी साबित करना चाहते हैं। हमारी यह यात्रा इस दावे को खारिज कर रही है।’ बिलावल भुट्टो ने कहा, “आतंकवाद से पीड़ित और इसे फैलाने वाले कभी साथ बैठकर आतंक पर चर्चा नहीं कर सकते। जो उन्होंने कहा, वह उनकी मर्जी। मैंने वहां अपना बयान दिया, प्रेस से भी बातचीत की। सबकुछ रिकॉर्ड पर है। वहां झूठे प्रोपेगैंडा की वजह से असुरक्षा का भाव है। यह प्रोपेगैंडा खत्म हो जाता है, जब मैंने वहां जाकर अपनी बात रखी। यह सिर्फ भारत के मुद्दे पर नहीं है, बल्कि उन सबके लिए है, जो पाकिस्तान का नाम आतंकवाद से जोड़ते हैं।”
एससीओ समिट में क्या बोले थे बिलावल?
आतंकवाद के मुद्दे पर बोलते हुए बिलावल ने कहा कि लोगों की सामूहिक सुरक्षा हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बना हुआ है। हमें आतंकवाद को कूटनीतिक हथियार बनाकर राजनयिक तौर पर एक-दूसरे को घेरने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं केवल पाकिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में ही नहीं बोल रहा हूं। हमारे लोगों ने हमलों में सबसे ज्यादा नुकसान उठाया। मैं उस बेटे के रूप में भी बोल रहा हूं, जिसकी मां की आतंकवादियों के हाथों हत्या कर दी गई थी।
जयशंकर ने क्या दिया इस पर जवाब
इसी के जवाब में जयशंकर ने कहा कि बिलावल का बयान काफी दिलचस्प है, क्योंकि इससे उन्होंने गलती से अपनी मानसिकता का खुलासा कर दिया है। किसी चीज को हथियार कब और कैसे बनाया जा सकता है? तभी जब कोई इस कार्य को एकदम वैध मान कर इसे कर रहा हो। आज कोई कह रहा है कि आप आतंकवाद को हथियार बना रहे हैं, तो साफ है कि उन्हें लगता है कि आतंकवाद वैध है और उसे हथियार नहीं बनाना चाहिए।
जयशंकर यहीं नहीं रुके। उन्होंने बिलावल के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा, “आतंकवाद के मुद्दे को हथियार न बनाने की बात पर आपका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि अगर मैं एक पीड़ित हूं, तो मुझे आतंकवाद को स्वीकार कर लेना चाहिए। ताकि न सिर्फ आप आतंकी गतिविधियों को अंजाम दें, बल्कि यह भी कहें कि इस बारे में कोई बोलने की सोचे भी न? तो बिलावल के इस वाक्य ने उनके देश की मानसिकता का खुलासा कर दिया है।”