नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह की 1995 में हुई हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को बदलने से इनकार कर दिया। याचिका में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की गई थी।
राजोआना ने 26 साल की लंबी कैद के आधार पर अपनी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल दो मई को केंद्र से राजोआना की ओर से दायर कम्युटेशन याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला करने को कहा था। हालांकि, केंद्र की तरफ से फैसला न होने पर पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने हाथ में ले लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था वक्त
बीते दिनों राजोआना की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि अदालत के पहले के आदेश के बावजूद इस मामले में कुछ नहीं किया गया है और केंद्र की ओर से पेश होने वाले वकील को कोई स्पष्ट निर्देश नहीं है। केंद्र से समय के अनुरोध के संबंध में अदालत की तरफ से पारित पिछले आदेशों का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि इन परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि केंद्र सरकार और सीबीआई सहित अन्य प्राधिकरणों की तरफ से आवेदन पर तुरंत विचार किया जाएगा।
1995 में हुई बेअंत सिंह की हत्या
पीठ ने कहा था कि सीबीआई की तरफ से मौत की सजा को कम करने के लिए अनुरोध या प्रस्ताव या आपत्ति दो सप्ताह के भीतर दायर की जाएगी। पीठ ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए मई तक टाल दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री की हत्या के मामले में राजोआना और उसके सह-अभियुक्तों पर आईपीसी की धाराओं और विस्फोटक सामग्री अधिनियम की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था। पीठ ने कहा कि इन अपराधों के तहत आरोप साबित होने के बाद निचली अदालत ने राजोआना और सह आरोपी जगतार सिंह हवारा को मौत की सजा सुनाई। राजोआना को पंजाब सचिवालय के बाहर बम विस्फोट में शामिल होने का दोषी ठहराया गया था।
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