नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को IPC की धारा 124A (राजद्रोह कानून) को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई अगस्त तक के लिए टाल दी। केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी का पक्ष जानने के बाद किया गया। वेंकटरमानी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजद्रोह को अपराध बनाने वाली IPC की धारा 124A की समीक्षा की जा रही है। इसकी समीक्षा पर चर्चा अंतिम चरण में है।
राजद्रोह कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 16 याचिकाएं डाली गई हैं। जिसमें दंडात्मक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई। सोमवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पर्दीवाला की पीठ ने इस पर सुनवाई की। इस दौरान अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने खंडपीठ को बताया कि सरकार ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए की फिर से जांच करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वेंकटरमणि ने कहा कि परामर्श प्रक्रिया अग्रिम चरण में है और इसके संसद में जाने से पहले उन्हें दिखाया जाएगा। उन्होंने पीठ से आग्रह किया कि इस मामले को मानसून सत्र के बाद सुनवाई के लिए रखा जाए। हालांकि खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई अगस्त के दूसरे सप्ताह में रखी है।
वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने शुरुआत में ही पीठ से मुद्दों पर निर्णय लेने के लिए सात न्यायाधीशों की एक पीठ गठित करने की मांग की। इस पर खंडपीठ ने कहा कि अगर मामला सात जजों के पास भी जाना है तो पहले इसे पांच जजों की बेंच के सामने रखना होगा।
SC ने लगा रखी है रोक
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस कानून पर रोक लगा रखी है। पिछले साल इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कोर्ट ने केंद्र को समीक्षा का वक्त दिया था। ऐसे में इस कानून के तहत गिरफ्तारियां नहीं हो रही हैं।
IPC की धारा 124ए में राजद्रोह का उल्लेख है। इसके तहत अगर कोई शख्स सरकार के खिलाफ कुछ लिखता या बोलता है, या फिर वो राष्ट्रीय प्रतीक और संविधान का अपमान करता है, तो उसके खिलाफ धारा 124ए के तहत मामला दर्ज होगा। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार इसका गलत इस्तेमाल कर रही है।
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