विजिलेंस अधिकारी बनकर युवक से 22 लाख की ठगी

गाजियाबाद। क्रासिंग रिपब्लिक थाना क्षेत्र के सिद्धार्थ विहार में टैक्स चोरी के मामले में जेल जाने का डर दिखाकर बचाने के नाम पर 22 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। आरोपी ने खुद को ब्यूरो सतर्कता विभाग में अधिकारी बताकर धोखाधड़ी की है। मामले में पीड़ित ने पुलिस आयुक्त से शिकायत कर केस दर्ज कराया है।

सिद्धार्थ विहार निवासी बाबू रामपाल का कहना है कि उनके एक रिश्तेदार ने उनके दस्तावेजों पर एक फर्जी फर्म बनाकर इनकम टैक्स की चोरी की थी। इसके चलते उन्हें विभाग की दिल्ली शाखा की तरफ से जनवरी 2022 नोटिस आया था। इसके बाद वह संबंधित अधिकारी के सामने पेश हुए। उनसे दिन भर पूछताछ की गई और बयान दर्ज कर दस्तावेजों की फोटो कापी लेकर वापस भेज दिया गया।

इसके बाद उन्हें दूसरा नोटिस प्राप्त हुआ तो उन्होंने दोबारा बयान दर्ज कराए। उनका कहना है कि इस बीच उनके एक भांजे ने मोहननगर के रहने वाले राजीव कुमार से मिलवाया। राजीव कुमार ने बताया कि वह ब्यूरो सतर्कता विभाग दिल्ली में आइओ की पोस्ट पर तैनात है और इस मामले की फाइल अपने पास ट्रांसफर कराकर केस समाप्त कर दूंगा। राजीव ने अपनी जान-पहचान जीएसटी कार्यालय कौशांबी में बताई।

इसके बाद उसने कहा कि उसकी दिल्ली के आयकर अधिकारी और कौशांबी में बैठने वाले जीएसटी अधिकारी से बात हो गई है। दोनों को पांच-पांच लाख रुपये रिश्वत देने के नाम पर राजीव कुमार ने उनसे दस लाख रुपये और अन्य खर्चे के नाम पर 50 हजार रुपये ले लिए। इसके बाद राजीव ने फोन करके कहा कि उनके खिलाफ हापुड़ के धौलाना थाने में केस दर्ज हो गया है। वहां के एसएचओ से उसकी बात हो गई है। एसएचओ को रिश्वत देने के नाम पर राजीव ने उनसे तीन लाख रुपये ले लिए।

कई बहाने से रकम वसूली
इसके बाद उसने अन्य बहानों से उनसे पैसे वसूलने शुरू कर दिए। भाई की जमानत कराने के नाम पर 5.40 लाख रुपये लिए, जमानत के लिए वकील करने के नाम पर डेढ़ लाख रुपये लिए और फिर पटियाला हाउस थाना दिल्ली में केस दर्ज होने की बात कहते हुए मामला निपटाने के नाम पर 40 हजार रुपये लिए। इसके बाद राजीन ने फर्जीवाड़ा करने वाले ग्रुप को पकड़ने के लिए राजस्थान जाने की बात कहकर 1.40 लाख रुपये ले लिए।

पीड़ित के मुताबिक वह जेवर बेचकर, जानकारों से कर्ज लेकर पैसा दे चुके थे। उनके पास पैसा नहीं था, लिहाजा पिता से बताया। वह उन्हें लेकर आयकर दफ्तर और जीएसटी दफ्तर गए तो पता चला कि उनके खिलाफ कोई केस ही दर्ज नहीं है। फर्जीवाड़े का पता चलने पर उन्होंने उससे रुपये वापस मांगे तो उसने करीब चार लाख रुपये लौटा दिए बाकी रकम देने से इन्कार कर दिया। एसीपी वेव सिटी रवि प्रकाश सिंह का कहना है कि मामले में जांच की जा रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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