नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हेट स्पीच के मामलों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल एक्शन लेने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ किया है कि हेट स्पीच देने वाले व्यक्तियों के धर्म की परवाह किए बिना ऐसी कार्रवाई की जाए ताकि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को जारी रखा जा सके।
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने नफरत फैलाने वाले भाषणों को “देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित करने वाला गंभीर अपराध” करार दिया। पीठ ने कहा कि उसके 21 अक्तूबर, 2022 के आदेश को धर्म की परवाह किए बिना लागू किया जाएगा। साथ ही पीठ ने चेतावनी दी कि मामला दर्ज करने में किसी भी तरह की देरी को अदालत की अवमानना माना जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि भाषण देने वाले व्यक्तियों के धर्म की परवाह किए बिना ऐसी कार्रवाई की जाएगी ताकि प्रस्तावना द्वारा परिकल्पित भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित रखा जा सके।
कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण दिया जाए, वे बिना किसी शिकायत के एफआईआर दर्ज करने के लिए स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करें।
इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा था कि ‘हर रोज टीवी और सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए जा रहे हैं। क्या ऐसे लोग खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते? जिस दिन राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे। नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे। उसी दिन नफरत फैलाने वाले भाषण भी बंद हो जाएंगे। हम अपने हालिया फैसलों में भी कह चुके हैं कि पॉलिटिक्स को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।’