बरेली। यूपी के बरेली में मेयर पद की प्रत्याशिता को लेकर समाजवादी पार्टी में तीन दिन से छिड़ा घमासान आखिरकार गुरुवार को शांत हो गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कहने पर पार्टी प्रत्याशी संजीव सक्सेना ने अपना नाम वापस ले लिया है। नाम वापसी के बाद संजीव सक्सेना ने सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार आईएस तोमर को चुनाव लड़ाने का ऐलान भी कर दिया।
पूर्व मेयर और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ आईएस तोमर बरेली महापौर पद के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन पार्टी ने एन वक्त पर उन्हें टिकट नहीं दिया और संजीव सक्सेना को प्रत्याशी घोषित कर दिया। इसके बाद आईएस तोमर ने निर्दलीय के तौर पर पर्चा खरीदा, लेकिन उसके बाद सपा के नेताओं में बगावत शुरू हो गई, दबाव बनाया जाने लगा कि आईएस तोमर चुनाव न लड़े। दूसरी तरफ प्रत्याशी संजीव सक्सेना भी पीछे हटने को तैयार नहीं थे। 27 अप्रैल की दोपहर 3:00 बजे तक नामांकन का आखिरी दिन था और सपा प्रत्याशी संजीव सक्सेना ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
संजीव सक्सेना ने कहा कि आज सुबह राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का मेरे पास फोन आया। उन्होंने नाम वापस लेने के लिए कहा। उनका आदेश मेरे लिए सबसे बड़ा है। मैं अपना नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के आदेश पर वापस ले रहा हूं। उन्होंने कहा मैं सच्चा समाजवादी सिपाही हूं पार्टी के लिए काम करता रहूंगा। नाम वापसी के दौरान सिर्फ सपा नेता हैदर अली साथ रहे। दूसरा कोई भी समाजवादी नेता इस दौरान उनके साथ नामांकन कक्ष में नहीं आया। संजीव सक्सेना के बेटे निर्दलीय सागर सक्सेना ने भी अपना पर्चा वापस ले लिया।
भाजपा के लिए बढ़ी मुश्किल
सपा प्रत्याशी संजीव सक्सेना के नामांकन वापसी के बाद भाजपा के खेमे में भी हलचल मच गई। क्योंकि भाजपा नेता अच्छी तरीके से जानते हैं कि शहर की राजनीति में डॉ आईएस तोमर सबसे मजबूत प्रत्याशी हैं, और उनकी पकड़ भी सबसे ज्यादा है। साल 2000 के निकाय चुनाव में डॉ आईएस तोमर निर्दलीय चुनाव लडकर मेयर बने और उसके बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। 2012 के चुनाव में IS तोमर दूसरी बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और महापौर बने। इस बार निर्दलीय प्रत्याशी हैं और पीछे से सपा का समर्थन है। कहा जा रहा है कि आईएस तोमर का बरेली शहर की राजनीति में निजी वोट बैंक भी ज्यादा है। इसलिए आखिरी समय में भाजपा को घेरने के लिए सपा ने प्रत्याशी का नाम वापसी कराया है।
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