नई दिल्ली। सूडान में पिछले कुछ दिनों से चल रहे गृहयुद्ध की स्थिति और भयावह होती जा रही है। वहां सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच जंग चल रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह युद्ध प्रभावित सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। पीएम ने इस बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान वहां से देश के लोगों को सुरक्षित निकालने पर चर्चा हुई। बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी हिस्सा लिया और सूडान के मौजूदा हालात के बारे में पीएम को अवगत कराया।
पीएम मोदी ने सूडान में एक भारतीय नागरिक के निधन पर शोक व्यक्त जताया। गृहयुद्ध से प्रभावित सूडान में पिछले सप्ताह भारतीय नागरिक एक गोली का शिकार हो गया था। पीएम ने इस दौरान सभी संबंधित अधिकारियों को सतर्क रहने, विकास की बारीकी से निगरानी करने और सूडान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का लगातार मूल्यांकन करने और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया। साथ ही पीएम मोदी ने आगे आकस्मिक निकासी योजनाओं की तैयारी, तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य और विभिन्न विकल्पों की व्यवहार्यता के लिए लेखांकन का निर्देश दिया। इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र के पड़ोसी देशों के साथ-साथ सूडान में बड़ी संख्या में नागरिकों के साथ घनिष्ठ संचार बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया।
विदेश मंत्री ने UN चीफ से बात की
इससे पहले गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सूडान के लगातार बिगड़ते हालात पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात की थी। दरअसल, सूडान में पिछले कई दिनों से मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच लड़ाई जारी है। WHO के मुताबिक, इसमें अब तक 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 3500 लोग घायल हुए हैं। इस लड़ाई का केंद्र बनी राजधानी खार्तूम में भारत के करीब डेढ़ हजार नागरिक भी फंसे हुए हैं। वहीं सूडानी शहर अल-फशेर में कर्नाटक के हक्की-पिक्की आदिवासी समुदाय के 31 लोग शामिल हैं।
क्या है सूडान में माहौल
गौरतलब है कि सूडान में पिछले कुछ समय से सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच लड़ाई अब सड़क पर उतर चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस खूनी जंग में 300 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। राजधानी खार्तूम समेत कई प्रमुख शहरों में हवाई हमलों और टैंकों से गोलीबारी की भीषण लड़ाई देखी जा सकती है। नतीजन पचास मिलियन लोगों में से अधिकांश बिजली, भोजन और पानी के बिना जीवन जीने को मजबूर हैं। देश के अधिकांश हिस्सों में संचार व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
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