नरोदा गाम मामले में कोर्ट का फैसला, माया-बाबू समेत सभी आरोपी बरी, 11 लोगों की गई थी जान

अहमदाबाद। गुजरात के नरोदा गाम दंगे मामले में अहमदाबाद की एक विशेष कोर्ट ने आज फैसला सुना दिया। कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। 2002 में हुए इन दंगों में 11 लोगों की मौत हुई थी। गुजरात की पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता माया कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत 86 आरोपियों पर यह केस चल रहा था हालांकि 86 में से 18 की मौत हो चुकी है।

27 फरवरी 2002 को अयोध्या से गुजरात पहुंची साबरमती एक्सप्रेस में आग लगा दी गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हुई थी। गोधरा कांड के अगले दिन यानी कि 28 फरवरी को नरोदा गांव में बंद का ऐलान किया गया था। इसी दौरान सुबह करीब 9 बजे लोगों की भीड़ बाजार बंद कराने लगी। इसी बीच भीड़ में से ही हिंसा होने लगी। भीड़ में शामिल लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। इसके बाद आगजनी, तोड़फोड़ शुरू हो गई और इसी दौरान 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इसके बाद नरोदा पाटिया गांव में भी दंगे फैल गए थे। यहां भी बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। इन दोनो इलाकों में 97 लोगों की मौत हो गई थी। इस नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए थे।

इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की गई। राज्य की भाजपा सरकार पर दंगाईयों का सहयोग करने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में भाजपा नेताओं के नाम भी सामने आए। इस मामले में SIT ने तत्कालीन भाजपा विधायक माया कोडनानी को मुख्य आरोपी बनाया था। माया कोडनानी राज्य सरकार में पूर्व मंत्री भी रह चुकी हैं। कोडनानी के साथ बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नेता बाबू बजरंगी, जयदीप पटेल जैसे कई अहम आरोपी हैं। इस मामले में 86 लोग आरोपी बनाए गए थे, इनमें से 18 लोगों की मौत हो चुकी है।

अब तक मामले में क्या-क्या हुआ
इसके बाद साल 2009 में मामले की अदालती कार्यवाही शुरू हुई। मामले में 327 लोगों के बयान दर्ज किए गए। 2012 में एसआईटी मामलों की विशेष अदालत ने माया कोडमानी और बाबू बजरंगी को हत्या और षडयंत्र रचने का दोषी पाया था। इस मामले में 32 अन्य लोगों को भी दोषी ठहराया गया था। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर 2017 में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 13 साल से इस मामले में सुनवाई चल रही है। इस मामले में एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी माया कोडनानी की तरफ से कोर्ट में गवाही दी थी।

दंगे के वक्त वे विधानसभा में थीं
अमित शाह ने कोर्ट में बताया था कि कोडनानी ने कोर्ट से अपील की थी कि उन्हें यह साबित करने के लिए कोर्ट में बुलाया जाए कि वे नरसंहार के वक्त नरोदा में मौजूद नहीं थीं, वे उस वक्त गुजरात विधानसभा और इसके बाद सोला सिविल अस्पताल में थीं। जबकि कुछ चश्मदीद ने कोर्ट में गवाही दी है कि कोडनानी दंगों के वक्त नरोदा में मौजूद थीं और उन्हीं ने भीड़ को उकसाया था।

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू में करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी।

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