नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उड़ीसा हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की अपनी सिफारिश बुधवार को वापस ले ली। जस्टिस मुरलीधर दरअसल इस साल सात अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने फैसला यह कहते हुए वापस ले लिया कि प्रस्ताव पर सरकार ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
जस्टिस मुरलीधर फिलहाल ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। सितंबर 2022 में उनको मद्रास हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश कॉलेजियम ने की थी। लेकिन सरकार ने उनके प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया। उनके बाद हुई कॉलेजियम की कई सिफारिशों को सरकार ने मंजूरी दी। अलबत्ता जस्टिस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट भेजने के प्रस्ताव पर अमल नहीं किया गया। इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सरकार से कई बार तनातनी भी हुई। टॉप कोर्ट ने सरकार को इशारों में चेतावनी भी दी। लेकिन कानून मंत्रालय ने उनको मद्रास हाईकोर्ट नहीं भेजा।
अगस्त 2023 में रिटायर हो जाएंगे जस्टिस मुरलीधर
7 अगस्त 2023 को जस्टिस मुरलीधर रिटायर हो जाएंगे। कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव को वापस लेते हुए जस्टिस एसवी गंगापुरवाला को मद्रास हाईकोर्ट का परमानेंट चीफ जस्टिस बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। कॉलेजियम पूरा जोर लगाकर भी जस्टिस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नहीं बना सका। एसवी गंगापुर वाला फिलहाल मद्रास हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
दिल्ली दंगों के दौरान जस्टिस मुरलीधर से नाराज हुई थी सरकार
दिल्ली दंगों के दौरान जस्टिस एस मुरलीधर दिल्ली हाईकोर्ट में तैनात थे। उस दौरान उनके सामने एक मामला आया जिसमें उन्होंने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता को कड़ी फटकार लगा दी। उसके बाद उन्होंने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के लिए केस क्यों दर्ज नहीं किया गया। उसके बाद जस्टिस मुरलीधर को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट भेज दिया गया। फिलहाल वो ओडिशा हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं से वो रिटायर हो जाएंगे।