प्रयागराज। अतीक-अशरफ अहमद की उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई हत्या ने हर किसी को चौंका दिया है। अतीक की हत्या में जिस जिगाना पिस्तौल का प्रयोग हुआ है, वह तुर्की में बनती है। यह पिस्तौल भारत में प्रतिबंधित है और इसे काफी सफिस्टकैटिड हथियार माना जाता है।
यह पिस्तौल भारत में इस पर बैन है। एक पिस्तौल की कीमत छह से सात लाख के बीच बताई जाती है। मॉर्डन फायरआर्म्स की रिपोर्ट के मुताबिक तिसासा ट्रैबजॉन आर्म्स इंडस्ट्री कॉर्प की तरफ से साल 2001 से ही इस पिस्तौल का उत्पादन किया जा रहा है। इन हैंडगन्स का उत्पादन बहुत कम संख्श में होता है। तुर्की की कई सुरक्षा कंपनियां और साथ ही साथ यहां की सेना में भी इसका प्रयेाग होता है। इनकी डिजाइन तुर्की की बाकी हैंडगन्स से काफी अलग है। इन पिस्तौल का डिजाइन कोई खास नहीं है और इन्हें ध्यान से देखने पर पता लगता है कि यूरोपियन पिस्तौल की तरह ही नजर आती हैं।
जिगाना की एक पूरी सीरीज है। इसका वजन करीब 900 ग्राम है और इसकी रेंज 350 मीटर तक है। इस पिस्तौल का प्रयोग मलेशियन आर्मी, अजजबैजान की मिलिट्री के अलावा फिलीपींस की पुलिस के साथ ही अमेरिका में कोस्ट गार्ड करता है। मॉर्डन फायरआर्म्स के मुताबिक जिगाना पिस्तौल में कुछ मोडिफिकेशन किए गए हैं। यह पिस्तौल अब एक ब्राउनिंग-टाइप लॉकिंग सिस्टम के साथ लॉक्ड ब्रीच, शॉर्ट रिकॉइल-ऑपरेटेड हथियार हैं। इसमें बैरल को एक बड़े लग के जरिए स्लाइड से जोड़ा जाता है जो इजेक्शन पोर्ट का प्रयोग करता है। ट्रिगर एक डबल-एक्शन मैकेनिज्म है। इस पिस्तौल में ऑटोमैटिक फायरिंग पिन ब्लॉक भी होता है।
कई देशों की सेनाओं की फेवरिट
ओरिजिनल जिगाना एमआई6 पिस्तौल में एक अंडरबैरल डस्टकवर है और यह फ्रेम पर होता है। पिस्तौल का बैरल 126 एमएम का है।जि गाना टी पिस्तौल इससे अलग होती है। इस पिस्तौल में एक भारी और थोड़ा लंबा स्लाइड होता है।साथ ही इसका फ्रेम एक बेहतर और लंबे डस्टकवर के साथ है। इसके अलावा बैरल भी 130 एमएम तक बढ़ाया गया है। इसके बाद एक जिगाना के पिस्तौल भी है जो जिगाना टी से छोटी है और इसका बैरल सिर्फ 103 एमएम का है। तीनों ही तरह की जिगाना पिस्तौल डबल स्टैक मैगजीन का प्रयोग करती हैं। इन पिस्तौल से एक बार में 15 से 17 राउंड फायरिंग की जा सकती है।
पाकिस्तान की गन मार्केट में जिगाना
भारत में पिस्तौल बैन है लेकिन रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे पाकिस्तान के रास्ते लाया जाता है। टर्किश डिफेंस डेली के मुताबिक पिस्तौल को पाकिस्तान में लोकल वर्कशॉप पर बनाया जाता है और जिगाना के मॉडल्स को गैरकानूनी तरीके से बेचा जा रहा है। इन्हें बिल्कुल ऐसे तैयार किया जा रहा है कि ये ओरिजिनल लगे और फिर कम दामों में इसे बेचा जा रहा है।
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पाकिस्तान में एक बड़ा गन मार्केट है और इन्हीं जगहों पर इनका उत्पादन होता है। पाकिस्तान का दर्रा आदम खेल जिसे गन वैली भी कहा जाता है, उसकी आबादी करीब 80,000 लोगों की है। इस जगह पर दो हजार घर ऐसे हैं जहां पर हथियारों का निर्माण किया जाता है। इस जगह पर हर हथियार 20,000 से 40,000 की कीमत पर बिकता है जिसमें ऑटोमैटिक और सेमीऑटोमैटिक, 9एमएम और बेराट्टा भी शामिल है। यहां तक कि एंटी-एयरक्राफ्ट गन भी इस बाजार में बिकती है।
ऑस्ट्रिया और लेबनान तक जाती पिस्तौल
पाकिस्तान, ऑस्ट्रिया और लेबनान को शॉटगन और छोटे हथियारों का निर्यात करता है। हथियारों का आयात चीन, अमेरिका और तुर्की से करीब 20 मिलियन डॉलर की लागत पर किया जाता है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में, भारत की पंजाब पुलिस ने 48 विदेशी पिस्तौलें जब्त की थीं। पुलिस ने एक हथियार तस्कर को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस का मानना था कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों और अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में स्थित खालिस्तानी तत्वों से संबंध थे। बरामद हथियारों और गोला-बारूद में 19 तुर्की निर्मित जिगाना 9 एमएम पिस्तौल शामिल हैं।
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