दिल्ली। एक तरफ जहां जुए पर सरकार सख्ती बरत रही है, वहीं दूसरी तरफ यह खेल और फलता-फूलता जा रहा है। आज के वक्त में ऐसी व्यवस्था हो गई है कि कोई भी व्यक्ति कहीं भी रहकर जुआ खेल सकता है। ऑनलाइन पैसे लगाने का चलन है और उन युवाओं की संख्या कम नहीं है, जो जुए सट्टे में लीन हैं। अब 36 साल के व्यक्ति की आपबीती ने सभी को हैरान कर दिया। उसके इस शौक ने उसके परिवार को भी तबाह कर दिया। उसकी पत्नी और बेटी घर छोड़कर चले गए तथा उसकी नौकरी भी छूट गई।
नैनीताल के हल्द्वानी निवासी हरीश पिछले कई साल से दिल्ली के ओखला स्थित प्रहलादपुर में रह रहा है। वह करीब तीन साल से ऑनलाइन रमी खेल रहा है। हरीश ने कर्जा उतारने के लिए ट्विटर पर एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप बताकर किडनी बेचने का ट्वीट किया। युवक ने लिखा कि सरकार ऑनलाइन फ्रॉड गेम को बंद नहीं करेगी तो उसे फांसी लगानी पड़ेगी या किडनी बेचकर कर्जा चुकाना पड़ेगा। एक ट्वीट में युवक लिखता है कि मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं, इसका जिम्मेदार रमी गेम है। इस गेम की वजह से में सड़क पर आ गया हूं, मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
हरीश बताता है कि इस खेल में वह पांच अलग अलग खिलाड़ियों के साथ खेलता था। खेल का नियम यह है कि दांव पर लगे पैसों में 90 प्रतिशत जीतने वाले और 10 प्रतिशत कंपनी को मिलेंगे, हालांकि इस खेल में वह कोई बाजी नहीं जीत सका। पहले वह थोड़ी बहुत रकम लगाकर खेलता था, लेकिन जब हर बार हारने लगा तो उसने हारी हुए रुपए को एक झटके में कमाने का फैसला लिया। सैलरी से पूर्ति न होने पर उसने चार अलग अलग बैंकों से 22 लाख का लोन ले लिया और पूरा पैसा हार गया। करीब 30 लाख रुपये वह पहले ही हार चुका था। कुल 52 लाख रुपये इसमें हार चुका हैं। अब हालात यह हो गए है कि कर्ज के दबे तले हरीश की नौकरी भी चली गई हैं, बैंक की करीब डेढ़ साल से किस्त जमा न होने पर रिकवरी के नोटिस आ रहे हैं। वह अपना पैसा वापस लेने के लिए सेक्टर-3 की कंपनी के बाहर दिनभर बैठकर गुहार लगाता हैं।
पत्नी भी अकेला छोड़ गई
हरीश की करीब पांच वर्ष शादी हुई थी। उसकी दो बेटियां हैं। पत्नी हमेशा हरीश को इस खेल से बाहर आने की सलाह देती थी लेकिन उसके मन में एक झटके में पैसा कमाने का लालच इस कदर बढ़ गया कि वह सब भूल गया। हरकतों से बाज न आने पर करीब डेढ़ वर्ष पूर्व उसे पत्नी व बच्चों ने भी छोड़ दिया। हरीश के पिता नहीं हैं, अन्य परिवार के सदस्य उत्तराखंड में ही रहते हैं। अब वह सड़क पर भटकता फिर रहा है।
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