इजरायल की जवाबी कार्रवाई, गाजा और लेबनान में शुरू हुए ताबड़तोड़ हमले

जेरुसलम। इजरायली जेट विमानों ने शुक्रवार को सुबह-सुबह लेबनान और गाजा के कई इलाकों पर हमला किया है। इजराइल डिफेंस फोर्सेस ने कहा कि आतंकी संगठन हमास के साउथ लेबनान को निशाना बनाया गया है। दक्षिण लेबनान से रॉकेट से हमले के बाद इजराइल की ओर से जवाबी कार्रवाई में यह स्ट्राइक की गई है। इजराइल की ओर से कहा गया है कि आतंकी संगठन हमास ने पहले हमले की शुरुआत की है।

अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक हमले येरूशलम में अल-अक्सा मस्जिद में इजरायली सैनिकों के घुसने के बाद किए गये हैं। जबकि इजरायल का कहना है कि अल अक्सा मस्जिद में जब यहूदी अपने पवित्र स्थल का दौरा कर रहे थे तो मस्जिद के अंदर से पत्थर फेंके गये थे और उसके बाद ही दंगे शुरू हुए। अल अक्सा मस्जिद विवाद शुरू होने के फौरन बाद गाजा स्थिति हमास ने दक्षिणी इजरायल पर रॉकेट दागने शुरू कर दिए, जिस पर इजरायल ने चेतावनी जारी की थी, लेकिन हमास ने चेतावनी को दरकिनार कर दिया।

इजरायल ने दावा किया कि लेबनानी क्षेत्र से भी इजरायल के ऊपर रॉकेट दागे जा रहे हैं इजरायली सेना ने कहा कि गुरुवार को लेबनान से 34 रॉकेट दागे गए, जिनमें से 25 को आकाश में ही मार गिराया गया और कम से कम चार रॉकेट इजरायल के अंदर गिरे। जिसके बाद इजरायली सेना ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। इजरायल का कहना है, कि वो सिर्फ हमास को निशाना बना रहा है। इजरायली सेना ने एक बयान में कहा, “आतंकी संगठन हमास को लेबनान के भीतर से संचालित करने की इजाजत नहीं दी जाएगी और इसके लिए इजरायल, लेबनान सरकारप को जिम्मेदार ठहराती है।”

अमेरिका ने की हमास की निंदा
अमेरिकी विदेश विभाग ने लेबनान से रॉकेट दागे जाने और पहले गाजा से किए गए हमलों की निंदा की और कहा कि इजरायल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। वहीं अल-अक्सा मस्जिद के दृश्यों पर भी चिंता व्यक्त की है। जहां इज़राइली पुलिस को छापे के दौरान उपासकों की पिटाई करते हुए फिल्माया गया था।

अधिकारियों ने कहा कि उन युवकों के समूह को हटाना था जिन्होंने मस्जिद के अंदर खुद को रोक लिया था। बता दें कि यरुशलम की ओल्ड सिटी में अल-अक्सा परिसर इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। जहां रमजान के दौरान सैकड़ों हजारों लोग प्रार्थना करते हैं। यहूदियों को टेम्पल माउंट के रूप में जाना जाता है, दो बाइबिल यहूदी मंदिरों का स्थान, यह यहूदी धर्म का सबसे पवित्र स्थल भी है, हालांकि गैर-मुस्लिमों को वहां प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है।

Exit mobile version