दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने मामले में सह आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल 30 मई को इस मामले में गिरफ्तार किया था।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। सत्येंद्र जैन को एजेंसी ने साल 2022 में मई में गिरफ्तार किया था। तब से जैन जेल में ही हैं। जैन पर कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिये धन शोधन करने का आरोप लगा है। उच्च न्यायालय ने ईडी और आप नेता के वकील की दलीलें सुनने के बाद 21 मार्च को जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था।
30 मई को ईडी ने जैन को किया था गिरफ्तार
आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) नेता और दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को 30 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था। सत्येंद्र जैन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में मुकदमा दर्ज है। इससे पहले, अप्रैल महीने में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के तहत जैन के परिवार और कंपनियों की 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियां कुर्क की थीं। इसमें अकिंचन डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य कंपनियों की संपत्तियां शामिल थीं।
जैन पर कथित आरोप हैं कि उन्होंने दिल्ली में कई शेल कंपनियों को लॉन्च किया या खरीदा था। उन्होंने कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटरों की 54 शेल कंपनियों के माध्यम से 16.39 करोड़ रुपये के काले धन को भी सफेद किया था। जैन के पास प्रयास, इंडो और अकिंचन नाम की कंपनियों में बड़ी संख्या में शेयर थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2015 में केजरीवाल सरकार में मंत्री बनने के बाद जैन के सभी शेयर उनकी पत्नी के नाम कर दिए गए थे। मामला सामने आने पर गिरफ्तारी के बाद जब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के कागजात दिखाकर जैन से सवाल पूछे तो उन्होंने कोरोना के कारण याददाश्त चले जाने का दावा कर दिया था।
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