नई दिल्ली। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की ओर से मुगल इतिहास से जुड़े चैप्टर को हटाने को लेकर बहस छिड़ गई है। इस पर एनसीईआरटी के डायरेक्टर ने दिनेश प्रसाद सकलानी ने स्पष्ट किया है कि मुगलों पर चैप्टर नहीं हटाए गए हैं। उन्होंने कहा कि रेशनलाइजेशन की प्रक्रिया के तहत कुछ बदलाव जरूर हुए हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में सकलानी ने कहा, ‘सिलेबस को लेकर रेशनलाइजेशन की प्रक्रिया पहले भी कई बार अपनाई गई है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। जहां तक 12वीं की किताब से मुगलों के चैप्टर्स हटाने की बात है तो यह बिलकुल झूठ है।’
NCERT के डायरेक्टर ने किताब लेकर यह दिखाया कि चैप्टर्स नहीं हटाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘थीम 8 और थीम 9 में मुगल साम्राज्य से जुड़े कंटेंट थे, जिसमें से थीम 9 को हटा दिया गया है। पहले चैप्टर में उनकी पॉलिसी और समाज में दिए गए योगदान की चर्चा थी। यह चैप्टर अभी भी है और पढ़ाया जा रहा है। इसमें पूरी 16वीं सदी को कवर किया जा रहा है। यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट्स ने यह महसूस किया कि राजाओं के नाम और उनकी तारीख देने से बढ़िया उनके कामों का जिक्र करना होगा। इसलिए बदलाव हुए। अब इसे लेकर जो बहस की जा रही है, वो गलत है। जिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, उन्हें किताब देखने की जरूरत है।’
‘बच्चों पर कंटेंट लोड कम करने की थी जरूरत’
दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि कोरोना की लहर आई थी और यह सबको पता है कि कोविड की वजह से बच्चों और उनके पेरेंट्स पर किस तरह का असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘यह एक बहुत बड़ी महामारी थी जिसने जन-जीवन को झकझोर दिया था। इसलिए, यह प्रयास किया गया कि इससे उबरा जाए। इसके लिए बच्चों की भी उबारना जरूरी था। हमें पता है कि स्कूल बंद रहे जिससे क्लास नहीं चली। इसे देखते हुए यह विचार किया गया कि कंटेंट लोड को कम किया जाए। इसे लेकर पिछले साल एनसीईआरटी की ओर से विशेषज्ञों की समितियां बनाईं गईं। ये समितियां हर एक विषय को लेकर बनीं थीं जिसमें अलग-अलग विषयों के जानकार शामिल थे।’
‘एक्सपर्ट्स के सुझाव के आधार पर हुआ फैसला’
एनसीईआरटी के निदेशक ने एक्सपर्ट्स का हवाला देते हुए कहा, ‘इन लोगों ने किताबों को देखा और इस पर विचार किया कि आखिर कहां पर कंटेंट लोड कम किया जा सकता है। जहां भी उन्हें ऐसा करना संभव लगा, उस पर ऐक्शन लिया गया।’ उन्होंने इसके आगे कहा, ‘एक्सपर्ट्स को यह लगा कि जहां पर किसी घटना के बारे में एक क्लास में बात हो चुकी है, उसे दूसरी क्लास में न पढ़ाया जाए तो अच्छा है। बच्चों पर कंटेंट लोड कम करने का यह एक रैशनल तरीका था। रेशनलाइजेशन के तहत ऐसा किया गया। इस दौरान वही चीजें हटाई गईं, जो कि बच्चे पहले कहीं न कहीं किसी लेवल पर पढ़ चुके थे।’
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