दिल्ली। द्वारका में एडवोकेट वीरेंद्र कुमार नरवाल की हत्या से नाराज वकीलों की हड़ताल अब 5 और 6 अप्रैल को भी जारी रहेगी। जिला अदालत के वकील एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल की मांग कर रहे हैं। इस बिल पर लंबे समय से विचार चल रहा है। दिल्ली की सभी जिला अदालतों के वकील संगठनों की कोऑर्डिनेशन कमिटी ने सोमवार शाम इसकी जानकारी दी।
कमिटी के चेयरमैन डॉ एनसी शर्मा ने कहा कि जिला अदालतों में वकील की हड़ताल 5 और 6 अप्रैल को भी जारी रहेगी। उनकी मांग है कि एडवोकेट वीरेंद्र कुमार के हत्यारों की गिरफ्तारी होनी चाहिए और वकीलों की सुरक्षा के लिए ‘एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल’ पास होना चाहिए। वकील नेता दिव्यदर्शन शर्मा ने कहा कि इस बिल के आने से किसी आपराधिक प्रकृति के लोगों का केस लड़ते हुए वकीलों को इम्यूनिटी हासिल होगी और दूसरा अपने निजी विवादों में भी जान जाने का जोखिम कम होगा। कोऑर्डिनेशन कमिटी के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने दावा किया कि हड़ताल से कामकाज पर इसीलिए कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वादियों को अदालत के सामने पेश होने से रोका नहीं जा रहा है।
पटियाला हाउस कोर्ट के वकील वीरेंद्र कुमार नरवाल की द्वारका इलाके में हत्या के बाद दिल्ली के वकीलों ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लाने की मांग शुरू कर दी है। इसी मांग को पूरा करने के लिए आज दिल्ली की सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हड़ताल का फैसला लिया गया था। सूत्र ने बताया कि अमूमन जब दिल्ली की कोर्ट में हड़ताल रहती है तो भी कई वकील जरूरी मामले जैसे बेल, स्टे आदि का हवाला देकर अंदर जाने की जिद्द करते हैं। जिसके चलते झड़प भी हो जाती हैं। मगर इस बार जब एक वकील की निर्मम हत्या कर दी गई तो वकीलों ने खुद ही अंदर जाने का प्रयास नहीं किया। ऐसे में जिन लोगों की बेल पर सुनवाई होनी थी, वह नहीं हुई। जो जेल में था, उसे जेल में रहना होग। यही नहीं जिसे बेल मिल गई थी और आज बेल बोंड जमा होना था। उसे भी बोंड जमा न होने के चलते जेल में ही रहना होगा। इसके अलावा किसी को पेमेंट मिलनी थी या किसी मामले पर स्टे लेना था, उन्हें भी अगली तारीख दे दी गई।
बता दें कि द्वारका सेक्टर 1 की रेड लाइट के पास मणिपाल हॉस्पिटल के ठीक सामने बाइक सवार दो बदमाशों ने एडवोकेट वीरेंद्र कुमार को उस समय गोली मार दी थी, जब वह अकेले गाड़ी से कहीं जा रहे थे। सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि दोनों हमलावर काफी समय से बाइक से उनका पीछा कर रहे थे। मणिपाल हॉस्पिटल के सामने जैसे ही उनकी गाड़ी स्लो हुई, उन पर ताबड़तोड़ कई राउंड फायर करके फरार हो गए। वीरेंद्र पर लगभग 6 साल पहले भी रोहिणी कोर्ट के बाहर हमला हुआ था, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे। फिर वीरेंद्र को पुलिस की सुरक्षा मिली थी। कोविड के दौरान उनकी सुरक्षा हटा दी गई थी। इनका परिवार गुड़गांव में रहता है। वे आजकल द्वारका के एक अपार्टमेंट में अकेले रहते थे।
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