भोपाल। मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आई मादा चीता सियाया ने चार शावकों को जन्म दिया है। मादा चीता और चारों नन्हे मेहमान फिलहाल बिल्कुल स्वस्थ हैं। देश में 1952 में चीते विलुप्त हो गए थे। इसके 70 साल बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब देश की जमीन पर चीते जन्मे हैं।
कूनो के डीएफओ प्रकाश वर्मा के मुताबिक मादा चीता तीन महीने तक शावकों को फीडिंग कराएगी। इस दौरान उसे ज्यादा भोजन चाहिए, इसके लिए उसे ज्यादा शिकार भी करना होगा। चीता शावकों का सर्वाइव रेट 40 से 60% है, लेकिन हम पूरी कोशिश करेंगे कि 100% सर्वाइवल रेट हासिल किया जाए। इन शावकों को सबसे पहले नामीबियाई विशेषज्ञ डॉ. इलाही वॉकर और भारतीय विशेषज्ञ डॉ. जीतेंद्र जाटव दोनों ने संयुक्त रूप से देखा था।
शिवराज सिंह चौहान ने जताई खुशी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर नन्हें शावकों के आने पर खुशी जाहिर की है। जे.एस. चौहान, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल के प्रमुख भोपाल ने कहा, “17 सितंबर को PM मोदी द्वारा छोड़े गए 3 चीतों में से एक मादा चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया है। जो शावक पैदा हुए हैं वो पहले भारतीय चीता हैं।”
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दी बधाई
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि नामीबिया से भारत लाए गए चीतों में से एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया है। उन्होंने इसे ‘अमृत काल’ के दौरान भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना बताया। ट्वीट कर लिखा कि “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 17 सितंबर 2022 को भारत लाए गए एक चीते के चार शावकों का जन्म हुआ है।” मंत्री ने प्रोजेक्ट चीता की पूरी टीम को चीतों को भारत वापस लाने के उनके अथक प्रयासों और अतीत में किए गए एक पारिस्थितिक गलतियों को सुधारने के उनके प्रयासों के लिए बधाई दी।
दो दिन पहले साशा की हुई थी मौत
नामीबिया से आई फीमेल चीता साशा सोमवार 27 मार्च को कूनो नेशनल पार्क स्थित अपने बाड़े में मृत मिली थी। उसकी किडनी खराब थी और उसका इलाज चल रहा था। इस खबर ने देश में फिर से चीतों को बसाने की इच्छा रखने वाले वन्यजीव प्रेमियों को झटका दिया था लेकिन एक साथ चार शावकों के जन्म के बाद अब चीतों के देश में फिर से बसने की उम्मीदें रंग लाती दिख रही हैं।
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