तेल अवीव। इजरायल में भारी विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विवादित न्यायिक सुधार कानून को निलंबित कर दिया है। नेतन्याहू ने न्याय व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव की योजना पर तीव्र विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल ओत्ज़मा येहुदित ने बताया है कि इस कानून को टालने को लेकर नेतन्याहू ने अपनी सहमति दे दी है। ओत्ज़मा येहुदित इजरायली राजनेता रक्षा मंत्री इतमार बेन गवीर की पार्टी है। जुइश पावर नाम की एक अन्य पार्टी ने भी इस कानून के स्थगन की पु्ष्टि की है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अब इस कानून पर फैसला संसद की अगली बैठक में किया जाएगा। इस दौरान नेतन्याहू को एक बार फिर गठबंधन में शामिल पार्टियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। पहले इन्हीं पार्टियों ने कानून को अपनी मंजूरी दी थी लेकिन बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इन्होंने यू-टर्न ले लिया है। इजरायल की संसद अगले हफ्ते छुट्टी पर रहेगी। ऐसे में इस कानून को कुछ दिनों बाद ही संसद नेसेट में प्रस्तुत किया जाएगा। विपक्षी पार्टियों ने पहले ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।
इजरायल की सुरक्षा को पैदा हुआ खतरा
इजरायल में इस कानून के विरोध में रिजर्व सेना के लोग भी उतर आए हैं। वे अपनी ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। इससे इजरायल की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। कई इजरायली दूतावासों ने भी आपातकालीन काम को छोड़ अन्य सभी कार्यों से अलग रहने का ऐलान कर दिया है। इजरायली दूतावास की वेबसाइटों पर इससे संबंधित संदेश दिखाई दे रहे हैं। इजरायल की कई यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई को स्थगित कर दिया गया है। कई अस्पतालों में डॉक्टर हड़ताल पर हैं।
नेतन्याहू सरकार ने क्या बदलाव किए हैं
इजरायल की नेतन्याहू सरकार ने जो कानून बनाया है, उससे अदालत की ताकत काफी कम हो जाएगी। इजरायली अदालतें संसद से बने कानूनों की समीक्षा नहीं कर पाएंगी और ना ही उन्हें खारिज कर पाएंगी। इतना ही नहीं, संसद में बहुमत के जरिए अदालत के फैसले को बदला जा सकता है। ऐसे में नेतन्याहू चाहें तो अदालत के फैसले को संसद में अपने पक्ष में कर सकते हैं। नेतन्याहू के पास संसद में सिर्फ एक वोट से बहुमत है। सुप्रीम कोर्ट समेत सभी अदालतों में सरकार की मंजूरी के बाद ही जजों की नियुक्ति हो सकेगी। मंत्रियों के लिए अटार्नी जनरल की सलाह मानना बाध्यकारी नहीं रह जाएगा।