दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को आंशिक रूप से पलट दिया, जिसमें जामिया मिलिया इस्लामिया में दंगे कराने के आरोपियों को बरी किया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में बरी किए गए 11 में से 9 लोगों को फिर से आरोपी बनाया है।
दिल्ली HC ने शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा और सफूरा जरगर समेत 9 लोगों पर आइपीसी 143, 147, 149, 186, 353, 427 के तहत आरोप तय किए। बाकी दो लोगों मोहम्मद अबुजर और मोहम्मद शोएब को कोर्ट ने आरोप मुक्त कर दिया। साकेत कोर्ट ने सभी 11 आरोपियो को आरोप मुक्त किया था। लेकिन दिल्ली पुलिस की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 के खिलाफ विभिन्न धाराओं में आरोप तय करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पहली नजर में जैसा कि वीडियों में दिख रहा है, आरोपी स्टूडेंट एक्टिविस्ट्स भीड़ की अगुवाई कर रहे थे। वे दिल्ली पुलिस मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे और हिंसात्मक ढंग से बैरिकेड्स को धक्का दे रहे थे। शांतिपूर्ण तरीके से सभा करने का अधिकार तार्किक प्रतिबंधों के अधीन है। हिंसक गतिविधि और हिंसापूर्ण भाषणों को संरक्षण नहीं मिल सकता।
क्या है जामिया में हिंसा का मामला…
दिसंबर 2019 में दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों और स्थानीय लोगों ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इन लोगों ने ऐलान किया कि वे संसद तक रैली निकालेंगे।हालांकि, ये विरोध प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए। पुलिस ने इन्हें रोकने के लिए बल का प्रयोग किया। इसके बाद प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्र कथित तौर पर यूनिवर्सिटी में घुस गए। इसके बाद जामिया यूनिवर्सिटी और उसके आसपास के इलाकों में हिंसा भड़क गई। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 12 लोगों को आरोपी बनाया था। इन लोगों के खिलाफ दंगा करने और गैरकानूनी रूप से जमा होने समेत IPC की कई धाराओं में केस किए गए थे।
आरोपियों पर इन मामलों में दर्ज हुआ मामला
इमाम, जरगर, मोहम्मद कासिम, महमूद अनवर, शहजर रजा, उमैर अहमद, मोहम्मद बिलाल नदीम और चंदा यादव को IPC की धारा 143, 147, 149, 186, 353, 427 और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टु पब्लिक प्रॉपर्टीज एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। मोहम्मद शोएब और मोहम्मद अबुजार को IPC के सेक्शन 143 के तहत आरोपी बनाया गया था। इन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। तनहा को सेक्शन 308, 323, 341 और 435 से बरी कर दिया गया था। उसे खिलाफ दूसरे सेक्शंस के तहत आरोपी बनाया गया है।
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