दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी के एक और विधायक जेल जा सकते हैं। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को मॉडल टाउन से आप विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी को साल 2020 में एक लॉ स्टूडेंट को पीटने का दोषी करार दिया। अदालत में विधायक की सजा पर सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।
त्रिपाठी वर्तमान में माडल टाउन विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। छात्र संजीव कुमार की शिकायत पर आदर्श नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। शिकायतकर्ता संजीव कुमार ने आरोप लगाया था कि 7 फरवरी 2020 की रात करीब 11:35 बजे जब वह अपने दोस्त राज किशोर के साथ अपने घर जा रहे थे तो त्रिपाठी ने अपने समर्थकों के साथ उन्हें झंडेवालान चौक पर उन्हें रोक लिया। उन्होंने उसकी स्कूटी की चाबी छीन ली और बुरी तरह पीटा। घटना के दूसरे दिन यानी 8 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने थे। मौजूदा विधायक त्रिपाठी आप से चुनाव लड़ रहे थे जबकि शिकायतकर्ता और उनके पिता बीजेपी उम्मीदवार कपिल मिश्रा का समर्थन कर रहे थे।
न्यायाधीश गीतांजलि गोयल की अदालत ने आईपीसी की धारा 323 के तहत त्रिपाठी को दोषी करार दिया। वहीं उन्हें धारा 341/506 (1) आईपीसी और धारा 3 (1) के तहत SC/ST एक्ट के आरोपों से बरी कर दिया है।SC/ST एक्ट के तहत विधायक को आरोपों से बरी करते हुए अदालत ने कहा, ‘इस मामले में आरोपी के खिलाफ ये तय नहीं किया जा सका कि उन्होंने शिकायतकर्ता के खिलाफ कोई जाति संबंधी टिप्पणी की। आरोपी के खिलाफ अनुसूचित जाति की वजह से शिकायतकर्ता को अपमानित या डराने का इरादा साफ नहीं हो पाया। शिकायतकर्ता ने आरोपी पर जाति के नाम पर गाली देने का आरोप लगाया है। लेकिन इसे एससी-एसटी एक्ट के तहत नहीं माना जा सकता। अदालत ने त्रिपाठी को 10 दिनों के भीतर अपनी संपत्ति और आय का हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया। इसके अलावा सरकार को भी आदेश दिया कि सात दिनों के भीतर अभियोजन एजेंसी द्वारा किए गए खर्च का हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता कूड़ेदान में कूड़ा फेंकने जा रहा था तभी आरोपी और उसके समर्थकों ने उसे रोका, उसकी पिटाई की और जाति संबंधी टिप्पणी की। हालांकि, त्रिपाठी ने दावा किया कि शिकायतकर्ता चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए प्रचार सामग्री वितरित कर रहा था और उन्होंने इस पर आपत्ति जताई थी। अदालत ने त्रिपाठी को दोषी ठहराते हुए कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि घटना हुई थी और शिकायतकर्ता को साधारण चोटें आई थीं लेकिन इस आधार पर आरोपी पर लगाए गए गंभीर अपराध साबित नहीं हो सकते। इसलिए आरोपी को आईपीसी की धारा 323 तहत दोषी करार दिया जाता है।
विधायक ने बीजेपी पर लगाया आरोप
त्रिपाठी के वकील ने यह भी बताया कि शिकायत दर्ज करने में भी देरी दर्ज की गई। जबकि शिकायत कर्ता बिल्कुल ठीक था वो घटना के दूसरे दिन वोट डालने भी गया। उसने घटना की शिकायत तीन बाद 10 फरवरी को दर्ज कराई। त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि केंद्र में बीजेपी की सरकार थी जिसके कारण पुलिस ने शिकायतकर्ता का पक्ष लिया और उन तथ्यों का खुलासा नहीं किया जो अभियोजन पक्ष के मामले के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस को बताया था कि चुनाव सामग्री के वितरण और चुनाव प्रचार पर आपत्ति जताने के बाद भाजपा समर्थकों ने उन्हें चोटें पहुंचाईं।
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