नई दिल्ली। सदन में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा काला धन और अघोषित विदेशी संपत्ति पर लिए गए एक्शन का ब्यौरा दिया। सदन में उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अब तक कितने काले धन के मामलों में किस तरह की कार्रवाई की गई है।
केंद्र सरकार ने काला धन कानून के तहत चार वित्तीय वर्षों में 13,566 करोड़ रुपये की कर मांग जुटाई है। केंद्र ने संसद में बताया कि 2018-19 के वित्तीय वर्ष से मौजूदा वित्तीय वर्ष तक कुल 349 मूल्यांकन आदेश पारित किए गए। सरकार ने इसी हफ्ते सोमवार को संसद में कहा कि आयकर विभाग ने अघोषित विदेशी आय और संपत्ति से निपटने के लिए काले धन कानून के तहत पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान 13,566 करोड़ रुपये की कर मांग की है।
पिछले साल 5,350 करोड़ रुपये की कर मांग
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि 2021-22 में 183 मूल्यांकन आदेश पारित किए गए और काले धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) के तहत 5,350 करोड़ रुपये की मांग की गई। मंत्री ने यह भी बताया कि 4,164 करोड़ रुपये की अघोषित विदेशी संपत्ति से जुड़े 648 खुलासे एकमुश्त अनुपालन विंडो के तीन महीनों के दौरान किए गए थे, जो 30 सितंबर, 2015 को काला धन कर अधिनियम, 2015 के तहत बंद हो गया था। ऐसे मामलों में कर और जुर्माने के रूप में एकत्र की गई राशि लगभग 2,476 करोड़ रुपये थी।
बैंकों पर घटा एनपीए का बोझ, इस वित्त वर्ष लाभ 70 हजार करोड़ पार
वहीं, सरकारी बैंकों का फंसा कर्ज (एनपीए) दिसंबर, 2022 तक घटकर 5.53 फीसदी रह गया। मार्च, 2018 में यह 14.6 फीसदी के साथ शीर्ष स्तर पर पहुंच गया था। एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2021-22 में सरकारी बैंकों ने जहां 66,543 करोड़ का मुनाफा हासिल किया, वहीं चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीनों में ही यह 70,167 करोड़ रुपये हो गया है। दिसंबर, 2022 में बैंकों का एनपीए के लिए प्रावधान 46% से बढ़कर 89.9 फीसदी हो गया है। आईडीबीआई बैंक सहित सभी सरकारी बैंकों का बाजार पूंजीकरण मार्च, 2018 के 4.52 लाख करोड़ से बढ़कर दिसबंर, 2022 में 10.63 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।
Discussion about this post