गृह मंत्रालय के नाम से खोला ट्रेनिंग सेंटर, युवाओं से ठगे ₹5-5 लाख

दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने केंद्र सरकार के ग्रुप-सी पद पर भर्ती का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। देश की सुरक्षा का हवाला देकर 5-5 लाख रुपये की रिश्वत लेकर ‘अंडर कवर एजेंटों’ की भर्ती भी की। क्राइम ब्रांच ने गिरोह के सरगना समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

एक सूचना के बाद क्राइम ब्रांच की टीम जब छापा मारने गई तो वह भी चकरा गई। जांच-पड़ताल के बाद क्राइम ब्रांच ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान गुरुग्राम के न्यू पालम विहार सेक्टर-9 निवासी 27 वर्षीय आशीष चौधरी, अशोक नगर के बी-ब्लॉक निवासी 33 वर्षीय गोविंद कौशिक और फरीदाबाद के सूरजकुंड निवासी 34 वर्षीय अमित कुमार के रूप में हुई है।

क्राइम ब्रांच ने इनके पास से रिक्रूटमेंट ऐप्लिकेशन, फेक कॉल लेटर, अपॉइंटमेंट लेटर, 3 लाख कैश, दो वायरलेस सेट, 1 वायरलेस फोन, 16 फेक आईडी कार्ड, खाकी यूनिफॉर्म, 20 जोड़ी खाकी मोजे, 4 जोड़ी पुलिसवालों के जूते, 15 खाकी मास्क, डीसीआई लोगो छपे खाकी लिफाफे, ऑफिस रजिस्टर, फाइल कवर, 7 रबर स्टांप, ट्रेनिंग फाइल्स, डीसीआई के डीजी (डायरेक्टर जनरल) की फेक फोटो फ्रेम, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की फोटो फ्रेम और अशोक चक्र लगे डीसीआई के झंडे व कंप्यूटर, लैपटॉप आदि बरामद हुए हैं।

हर उम्मीदवार से लिए 5 लाख, फर्जी प्रमोशन भी दिए
स्पेशल सीपी रविंद्र यादव के मुताबिक, सूचना थी कि आशीष चौधरी नाम का शख्स फर्जी रैकेट और फर्जी प्रशिक्षण केंद्र चला रहा है। क्राइम ब्रांच की टीम जाफरपुर कलां के इस फर्जी ट्रेनिंग सेंटर पर पहुंची। क्राइम ब्रांच ने आशीष चौधरी को गिरफ्तार किया, जो खुद को गृह मंत्रालय के डीसीआई (डिपार्टमेंट ऑफ क्रिमिनल इंटेलिजेंस) में डीएसपी (पुलिस उपाधीक्षक) होने का दावा कर रहा था। इसने उसी शैली में एक नकली सरकारी विभाग बनाया हुआ था। अपने सहयोगियों के साथ कॉन्स्टेबल/ ऑफिस असिस्टेंट /एमटीएस/क्लर्क के पद के लिए कई बेरोजगार युवाओं को भर्ती कर रहा था। हर एक से 5 लाख रुपये लिए थे। बाद में अधिक पैसे देने पर उन्हें ‘प्रमोशन’ भी दिया। इन्हें ‘दिल्ली में पोस्टिंग’ के लिए अतिरिक्त शुल्क भी दिया जाता था। दिल्ली के जाफरपुर कलां गांव में एक फर्जी प्रशिक्षण केंद्र भी बनाया हुआ था, जहां 10 पुरुष और एक महिला उम्मीदवार प्रशिक्षण ले रहे थे। छापेमारी के दौरान आरोपी आशीष चौधरी ट्रेनिंग हॉल में लेक्चर देता पाया गया।

मैट्रिक पास भी नहीं है मास्टरमाइंड आशीष
पूछताछ में आशीष चौधरी ने पहले तो क्राइम ब्रांच को खूब बरगलाया। आखिर में वह टूट गया और खुलासा किया कि असलियत में वह मैट्रिक पास भी नहीं है, बल्कि फर्जी रोजगार रैकेट चलाने वाला एक ठग है। क्राइम ब्रांच ने आगे की जांच की। आशीष की निशानदेही पर गोविंद कौशिक और अमित कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। तफ्तीश में मालूम चला कि आशीष 2021 से यह रैकेट चला रहा है। 2022 में यह परिसर किराए पर लिया था। उसने अपने संपर्कों को बताया कि यह सरकार के टॉप लेवल में अंडर-कवर ऑपरेशन के लिए अंडर-कवर एजेंटों की खुफिया भर्ती कर रहा है। किसी को भनक न लगे। इसके लिए सभी को कहता था कि देश की सुरक्षा का सेंसेटिव ऑपरेशन है, अगर किसी को बताया तो वे अपनी नौकरी खो देंगे।

उम्मीदवारों को यह भी झांसा दिया कि चूंकि नॉर्थ ब्लॉक में सभी रिक्तियां भर दी गई हैं, इसलिए उन्हें अगले 5 साल तक इसी जगह से काम करना होगा। उम्मीदवारों को सख्त अनुशासन, प्रोटोकॉल के तहत रखा गया था। उन्हें अलग-अलग टास्क में व्यस्त रखा जाता था। रिपोर्टिंग का समय सुबह 9 बजे और ट्रेनिंग 6 बजे खत्म की जाती थी। प्रशिक्षण सामग्री सरकार के ऑपरेशन और काम करने के बारे में थी। उम्मीदवारों को ड्रिल और गार्ड ड्यूटी करने और दोपहर के भोजन के लिए खाना पकाने के लिए भी कहा गया था। उन्हें लंबे समय तक धूप में इस बहाने खड़ा किया जाता था कि उनकी सहनशक्ति में सुधार करना है। उन्हें सोशल मीडिया अकाउंट्स से पूरी तरह हटा दिया गया था। उन्हें बताया गया कि वे 24/7 निगरानी में हैं। कुल मिलाकर, युवाओं के मन में खुफिया ऑपरेशंस के लिए भय पैदा किया गया था।

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