श्रीनगर। पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 15 मार्च को पुंछ के नवग्रह मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने के विवाद पर चुप्पी तोड़ी है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इसे मुद्दा बनाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने अपने कृत्य को धर्मनिरपेक्ष बताते हुए कहा कि भारत का लोकाचार और गंगा-जमुनी संस्कृति वाली है।
महबूबा मुफ्ती ने कहा, “कोई दोहरे मापदंड नहीं हैं। हम गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाने जाने वाले एक धर्मनिरपेक्ष देश में रहते हैं। यशपाल जी (पीडीपी के पूर्व एमएलसी, जिनका पिछले साल जनवरी में निधन हो गया था) ने एक मंदिर बनवाया था और उनके बेटे चाहते थे कि मैं इस मंदिर को देखूं। पुंछ के लोगों ने मंदिर के लिए उदारतापूर्वक दान दिया, जो बहुत ही सुंदर है। किसी ने मुझे पानी का एक ‘लोटा’ दिया और मुझे इसे शिवलिंग पर डालने के लिए कहा, जो मैंने किया। कोई उपकृत करने से कैसे मना कर सकता है।”
गैर-इस्लामिक पर क्या बोलीं महबूबा मुफ्ती
देवबंद के एक मौलवी ने महबूबा मुफ्ती की तीखी आलोचना की है। उन्होंने महबूबा मुफ्ती के शिवलिंग पर जल चढ़ाने को गैर-इस्लामिक बताया है। इसपर महबूबा मुफ्ती ने कहा, ”मैं इसमें नहीं जाऊंगी। मैं अपने धर्म को अच्छी तरह से जानती हूं। यह देश अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है जहां हिंदू और मुसलमान सद्भाव से रहते हैं। यहां मुसलमानों से ज्यादा हिंदू जियारत पर चादर चढ़ाते हैं। यह मेरा निजी मामला है।”
इत्तेहाद उलेमा-ए-हिंद ने बताया इस्लाम के खिलाफ
इत्तेहाद उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने महबूबा मुफ्ती के मंदिर में जाने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। हालांकि महबूबा मुफ्ती ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि ये उनकी निजी सोच है।
महबूबा बोलीं, भारत के हालात पाक से अलग नहीं
बाद में प्रेस कांफ्रेंस में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जिस तरह पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है, उसी तरह यहां की भाजपा की केंद्र सरकार विपक्षी नेताओं को जेल में डालने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। संकटग्रस्त पाकिस्तान पर महबूबा मुफ्ती ने कहा, “पाकिस्तान में कुछ भी नया नहीं हो रहा है।”महबूबा मुफ्ती ने कहा कि वह अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और अगस्त 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में तत्कालीन राज्य के विभाजन के बाद लोगों को हो रही कठिनाइयों के बारे में चिंतित हैं।
Discussion about this post