‘कितने पद्म अवॉर्ड और पेंटिंग बेचकर जुटाए पैसे’, अनुराग ठाकुर का प्रियंका गांधी पर हमला

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने विदेशी संस्था FATF द्वारा जारी रिपोर्ट को लेकर प्रियंका गांधी और गांधी परिवार पर राजनीतिक निशाना साधते हुए आरोप लगाया है कि कांग्रेस राज में पद्मभूषण भी बिकते थे। गांधी परिवार की चुप्पी पर सवाल खड़ा करते हुए ठाकुर ने पूछा कि यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर पर दबाव बना कर 2 करोड़ में प्रियंका गांधी की पेंटिंग खरीदने में और उस पैसे का उपयोग करने में कौन लोग शामिल हैं? इस खरीद फरोख्त में आर कौन है?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि एक भारतीय बैंकर ने कांग्रेस के एक सदस्य के करीबी रिश्तेदार से राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए रिश्वत के रूप में अधिक मूल्य देकर पेंटिंग खरीदी थीं। अनुराग ठाकुर ने कहा, कांग्रेस का एक के बाद एक भ्रष्टाचार का मॉडल सामने आ रहा है। कभी नेशनल हेराल्ड कभी दूसरा, कभी तीसरा। अब एक विदेशी एजेंसी एफएटीएफकी केस स्टडी में पाया गया है कि कैसे UPA की सरकार में एक केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रियंका गांधी की पेंटिंग को 2 करोड़ रुपये में खरीदने का दबाव बनाया गया।

उन्होंने आगे कहा कि, अभी तक देश की मीडिया और लोग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स- एफएटीएफ की चर्चा केवल इस बात के लिए करते थे कि पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहेगा या उससे भी आगे की लिस्ट में जाएगा। अब उसी एफएटीएफ की चर्चा भारत के संदर्भ में हो रही है। एक परिवार ने पूरी दुनिया के सामने देश का सर शर्म से झुका दिया है, एफएटीएफ की एक केस स्टडी में देश की नहीं बल्कि देश के एक रसूखदार परिवार की कारगुजारियां शामिल हुई है।

‘पेंटिंग से आए 2 करोड़ रुपये किस पर खर्च हुए?’
ठाकुर ने कहा, बड़े शर्म की बात है कि गांधी परिवार के करप्शन की कहानी केस स्टडी बनाकर पूरी दुनिया को बताई जा रही है, वो भी ऐसी संस्था द्वारा जो टैरर फाइनेंसिग को रोकने के लिए काम करती है। प्रियंका गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए ठाकुर ने पूछा, मैं प्रियंका गांधी से पूछना चाहूंगा कि क्या ये दबाव बनाया गया था? और अगर बनाया गया तो आखिर क्यों? उस पेंटिंग से आए 2 करोड़ रुपये किस पर खर्च हुए? ये मिस्टर आर कौन हैं जिनसे पैसे लेने और पेंटिंग देने का काम किया गया? वो देश में हैं या विदेश में हैं? क्या पैसे के बदले पद्मभूषण, क्या पेंटिंग के बदले पद्मभूषण ये कांग्रेस का भ्रष्टाचार मॉडल है? और कितने राष्ट्रीय सम्मान आपने पैसे के बदले बेचे हैं? भारत को बेचने का कोई भी मौका आपने नहीं छोड़ा होगा। आज देश हीं नहीं पूरी दुनिया आपके भ्रष्टाचार के ऊपर सवाल पूछ रही है। प्रियंका जी को देश को जवाब देना चाहिए कि और ऐसे कितने भ्रष्टाचार के मॉडल कांग्रेस के पास हैं?

‘भारतीय अदालतें करतूतों का खुलासा कर सजा सुनाएंगी’
कांग्रेस से जुड़े अन्य घोटालों का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने कहा, इस मामले में भी गांधी परिवार के लिए यूं तो शर्मिंदगी वाला मामला बनता है, लेकिन वो माफी भी नहीं मांगेंगे। वो मुकर जाएंगे ये कहकर कि हमारा नाम इस रिपोर्ट में नहीं है, तो सच क्या है, प्रियंका गांधी को आकर देश के सामने इन सवालों के जवाब देने चाहिए। नेशनल हेराल्ड हो या वाड्रा जमीन घोटाला, एक दिन उनके सारे घोटाले उजागर होंगे और भारतीय अदालतें उनकी करतूतों का खुलासा कर सजा भी सुनाएंगी।

क्या कहती है रिपोर्ट
ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिस्ट फाइनेंसिंग वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने अपनी नई रिपोर्ट में एक केस स्टडी को शामिल किया है, जो यस बैंक के पूर्व सीएमडी राणा कपूर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के मामले से काफी मिलता-जुलता है। रिपोर्ट में पेंटिंग्स के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग का भी जिक्र है। इसमें कहा गया कि 264,000 अमेरिकी डॉलर में उस समय सत्ताधारी राजनीतिक दल के एक सदस्य के करीबी रिश्तेदार से पेंटिग खरीदी गई थी। रिपोर्ट में किसी के नाम का खुलासा नहीं किया गया है, इसमें आरोपी को ‘मिस्टर ए’ कहकर संबोधित किया गया है।

एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में मिस्टर ए का उदाहरण देते हुए कहा, “मिस्टर ए एक भारतीय बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ थे, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान पद का दुरुपयोग किया। उन्होंने जानबूझकर मौजूदा मानदंडों और विनियमों का उल्लंघन करते हुए घाटे में चल रही या नकारात्मक क्रेडिट वाली व्यावसायिक संस्थाओं को 628 मिलियन अमरीकी डालर के बराबर के ऋण स्वीकृत किए।” रिपोर्ट में एक केस स्टडी का भी हवाला दिया गया है, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि संदिग्ध ने रिश्वत देने के लिए एक राजनेता के करीबी सहयोगी से 264,000 अमेरिकी डॉलर की कीमत पर बिना किसी वास्तविक मूल्य की पेंटिंग खरीदी थी।

वहीं, ईडी ने अपनी एक चार्जशीट में कहा था कि कपूर ने बताया था कि उन्हें कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा से 2 करोड़ रुपये में एमएफ हुसैन की एक पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि जांच से पता चला कि पेंटिंग खरीदने के लिए दी गई कीमत कला के लिए नहीं बल्कि प्रतिष्ठित भारतीय पुरस्कार पद्म भूषण को प्रभावित करने के लिए रिश्वत थी।

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