भारत में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस से पहली मौत की पुष्टि, देश में अब तक 90 केस

नई दिल्ली। भारत में इन्फ्लुएंजा वायरस एच3एन2 से पहली मौत का मामला सामने आया है। कर्नाटक के बुजुर्ग की एक मार्च को मौत हुई थी। अब टेस्टिंग में पता चला है कि वह एच3एन2 वायरस से संक्रमित था। देश में अभी तक H3N2 के 90 केस सामने आए हैं।

कर्नाटक के हासन के रहने वाले एक 82 वर्षीय व्यक्ति की इस वायरस से मौत की पुष्टि हुई है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक, मृत का नाम हीरा गौड़ा है। अधिकारी ने बताया कि हीरा गौड़ा डायबिटीज और हाइपरटेंशन से भी पीड़ित था। उसे 24 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और एक मार्च को उसकी मौत हो गई। छह मार्च को उसकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

पूर्व एम्स निदेशक बोले थे- बुजुर्गों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत
एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने पिछले दिनों H3N2 इन्फ्लूएंजा से लोगों को सावधान रहने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि यह कोरोना के जैसे ही फैलता है। इससे बचने के लिए मास्क पहनें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और बार-बार हाथ धोते रहें। बुजुर्गों और पहले से ही किसी बीमारी से परेशान लोगों को इससे ज्यादा परेशानी हो सकती है।

एंटीबायोटिक का सेवन बंद करें
डॉक्टरों ने बताया कि इसे रोकने की जरूरत है क्योंकि यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध की ओर जाता है। इसमें एमोक्सिसिलिन, नॉरफ्लोक्सासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन, ओफ्लॉक्सासिन जैसी दवाएं शामिल हैं। चिकित्सकों के मुताबिक लेवोफ़्लॉक्सासिन का सबसे अधिक दुरुपयोग एंटीबायोटिक के रूप में हो रहा है। आईएमए की राज्य इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार ने बताया कि H3N2 वायरस बुखार, खांसी और सर्दी के मामलों के लिए जिम्मेदार है। इन बीमारियों के इलाज में एंटीबायोटिक्स की कोई भूमिका नहीं है। इसके बजाय लोगों को उचित भोजन, गुनगुना पानी और विटामिन सी से भरपूर आहार लेना चाहिए । रोगसूचक राहत के लिए, पैरासिटामोल और एंटीहिस्टामाइन टैबलेट के लिए जा सकते हैं।

आखिर H3N2 वायरस क्या है?
H3N2 वायरस एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जिसे इन्फ्लूएंजा ए वायरस कहा जाता है। यह एक सांस रिलेटेड वायरल इन्फेक्शन है जो हर साल बीमारियों का कारण बनता है। इन्फ्लूएंजा ए वायरस का सबटाइप है जिसकी खोज 1968 में हुई थी।

बुखार कितने दिनों में उतर जाता है?
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) का मानना है कि इन्फेक्शन के लक्षण पांच से सात दिनों तक बने रहे सकते हैं। H3N2 से होने वाला बुखार तीन दिनों में उतर जाता है। लेकिन खांसी तीन हफ्ते से ज्यादा दिनों तक बनी रहती है।

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