गाजियाबाद/दुबई। अनेक सराहनीय प्रयासों के बाद भी विश्व परिदृश्य में महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी होना, हमें सबसे पहले आत्ममंथन करने का संकेत देता है। ऐसे में उन लोगों के विचारों को भी समाज की मुख्य धारा से जोड़ना आवश्यक हो जाता है, जो मनसा वाचा कर्मणा महिलाओं को सशक्त बनाने में संलग्न है।
ऐसा ही एक नाम है भारतवंशी दिया गोपाल का, जिनका उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद में जन्म हुआ और वर्तमान में दुबई में शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। महज 15 वर्ष की दीया गोपाल इस बारे में अपनी बेबाक राय रखती हैं। दिया गोपाल का कहना है कि हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ भारत सहित पूरे विश्व की महिलाएँ लगातार नये कीर्तिमान गढ़ रही हैं। किन्तु दुनिया के कई देशों में अभी भी महिलाएं गुलामों जैसा जीवन जीने के लिए बाध्य हैं। उन देशों के कानून में भी महिलाओं को पुरुषों से कम अधिकार दिया जाना सर्वथा निंदनीय है।
परिवार कल्याण से लेकर विश्व कल्याण तक का मार्ग महिलाओं की सहभागिता के बिना तय नहीं किया जा सकता है। रानी चेनम्मा, रानी लक्ष्मीबाई तथा दुर्गा भाभी जैसी वीरांगनाओं ने अपनी क्रन्तिकारी व्यक्तित्व की जो छाप विश्व पटल पर छोड़ी, वह अमिट है। मां के रूप में कोई महिला कितनी बड़ी भूमिका निभा सकती है, यह हमें वीर शिवाजी की माँ जीजाबाई से सीखने की आवश्यकता है।सम्मानपूर्ण अस्तित्व निर्माण के लिए महिलाओं का मुखर होना आवश्यक है। महिलाएं स्वयं को विज्ञापन का दर्शाने के बजाय, स्वस्थ समाज, देश एवं विश्व निर्माण में एक दूसरे का साथ दें।
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