चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा है कि दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को बार-बार पैरोल देने से राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है।
डेरा प्रमुख को पैरोल देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की याचिका पर पंजाब सरकार की प्रतिक्रिया हरियाणा सरकार के जवाब के बिल्कुल अलग है। राम रहीम सिंह की पैरोल का समर्थन करते हुए हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कहा था कि वह हार्डकोर कैदी की परिभाषा में नहीं आता और उनको सीरियल किलर नहीं कहा जा सकता है। वह हत्या के दो मामलों में भी सजा काट चुका है।
शीर्ष गुरुद्वारा संस्था एसजीपीसी ने हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में पैरोल आदेश को चुनौती दी थी। पंजाब सरकार ने 2017 में हरियाणा के पंचकूला में राम रहीम के समर्थकों द्वारा किए गए उपद्रव का हवाला दिया है, जब उसे 2017 में बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था।
वर्तमान मामले में डेरा प्रमुख को पिछले वर्ष में कई बार पैरोल दिया गया है। हिरासत से प्रतिवादी की अस्थायी रिहाई की फिर संभावना है। पंजाब के एडीजीपी (कानून व्यवस्था) अर्पित शुक्ला ने अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा कि ऐसा करने से पंजाब राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है। पंजाब सरकार के अनुसार राम रहीम सिंह को बार-बार पैरोल देने से एक विशेष धार्मिक समुदाय में नाराजगी है और डेरा के अनुयायियों के बीच उत्सव और जश्न का माहौल पैदा हो गया है, जिससे समाज के कुछ वर्ग बेहद नाराज हैं।
जिससे पंजाब राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति में गड़बड़ी की आशंका है क्योंकि डेरा प्रमुख के विरोध में पंजाब राज्य में विरोध प्रदर्शन हो सकता है जो नाराजगी व्यक्त करने के लिए पुतले जलाने, ट्रैफिक जाम व धरने जैसी गतिविधियों तक बढ़ सकता है। 2021 में, डेरा प्रमुख को चार अन्य लोगों के साथ, डेरा प्रबंधक रंजीत सिंह को मारने की साजिश रचने के लिए भी दोषी ठहराया गया था। डेरा प्रमुख और तीन अन्य को 2019 में 16 साल से अधिक समय पहले एक पत्रकार की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था।
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