हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड में गैंगरेप साबित नही हुआ है। स्थानीय कोर्ट ने एक मुख्य आरोपी संदीप को गैर इरादतन हत्या व एससी एसटी एक्ट में दोषी करार दिया है। उसे उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है जबकि 3 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है।
हाथरस की स्पेशल एससी-एसटी कोर्ट त्रिलोक पाल सिंह की अदालत से 2 मार्च को यह फैसला आया है। अदालत के फैसले सम्बंधी तारीख को लेकर प्रकरण के चारों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह 11 बजे न्यायालय लाया गया। इसी दौरान वादी पक्ष की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा कोर्ट पहुंची। इधर, पुलिस ने सुरक्षा व कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बूलगढ़ी गांव में मीडिया, गांव के बाहरी लोगों, राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी आदि के प्रवेश पर रोक लगा दी है। गांव में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
इधर, हाथरस कोर्ट को भी छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस- प्रशासन के अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए हैं। अभियुक्त पक्ष के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर ने बताया कि मामले में दुष्कर्म और धारा 302 को सिद्ध नहीं कर पाए हैं, एक अभियुक्त को केवल धारा 304 और एससी-एसटी एक्ट में दोषी पाया है। बाकी तीन को बरी कर दिया है। फैसले के बाद बरी हुए आरोपी रवि, रामू और लवकुश के परिजनों ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। वहीं, अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता इस फैसले से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने हाई कोर्ट जाने की बात कही है।
यह था मामला
हाथरस के चंदपा इलाके के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को अनुसूचित जाति की एक युवती ने गांव के ही चार युवकों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था, साथ ही गला दबाकर हत्या करने का प्रयास का आरोप भी था। 29 सितंबर 2020 में युवती ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया था। पुलिस ने युवती के बयान के आधार पर चारों अभियुक्त संदीप, रवि, रामू व लवकुश को गिरफ्तार कर लिया गया था।