नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई का चैटबॉट चैटजीपीटी हर किसी के लिए एक आकर्षक बना हुआ है। अपनी तमाम खूबियों के चलते ही इस नई तकनीक ने साइबर हैकर्स का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। साइबर अपराधी इन दिनों एक नए मालवेयर जरिए यूजर्स को अपने जाल में फंसा रहे हैं।
Kaspersky की एक रिपोर्ट मुताबिक साइबर अपराधी एक खास तरह के मालवेयर Fobo का इस्तेमाल यूजर्स की संवेदनशील जानकारियों को चुराने के लिए कर रहे हैं। साइबर अपराधी यूजर्स को चैटजीपीटी का फेक डेस्कटॉप वर्जन पेश कर रहे हैं। चैटजीपीटी का यही फेक वर्जन असल में Fobo है, जो एक बार यूजर के सिस्टम में एंटर हो जाए तो यूजर की सारी जानकारियों को चुराने में साइबर अपराधियों का हथकंडा बनता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अपराधी पहले पॉपुलर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ओपनएआई के ऑफिशियल लगने वाले ग्रुप्स को क्रिएट करते हैं। यहां पर अलग- अलग यूजर्स ग्रुप्स को ऑथेंटिक मान कर जुड़ते हैं तो साइबर अपराधी पोस्ट शेयर करते हैं। पोस्ट में चैटजीपीटी से जुड़ी जानकारियों को ही शेयर किया जाता है। इसी बीच, जब ग्रुप्स के मेंबर्स को यकीन हो जाता है कि ग्रुप आधिकारिक है तभी अपराधी एक लिंक के जरिए चैटजीपीटी की ऑफिशियल वेबसाइट का इंविटेशन भेजते हैं। इस तरह यूजर लिंक पर क्लिक कर चैटजीपीटी की असली लगने वाली फेक वेबसाइट पर लैंड हो जाता है।
सिस्टम में फोबो की एंट्री ऐसे चुपके से हो जाती है
वेबसाइट पर चैटजीपीटी का विंडोज वर्जन डाउनलोड करने की फाइल नजर आती है। अब यहां जैसे ही इस फाइल को सिस्टम के लिए डाउनलोड किया जाता है फाइल किसी एरर के साथ करप्ट हो जाती है। यूजर को लगता है कि फाइल इंस्टॉल नहीं हुई जबकि चुपके से फोबो की एंट्री सिस्टम में हो चुकी होती है। फोबो को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह अलग- अलग वेब ब्राउजर Chrome, Edge, Firefox और Brave में यूजर के अकाउंट की सेव्ड जानकारियों को चुराता है। यहां तक कि यह मालवेयर फेसबुक, गूगल अकाउंट और बिजनेस अकाउंट की जानकारियां भी चुराता है। इस मालवेयर के निशाने पर अफ्रिका, एशिया, यूरोप और अमेरिका के यूजर्स हैं।
मेटा का नया एआई LLaMA यूजर्स को दे रहा है सुविधा
दूसरी ओर, अपने यूजर्स को साइबर हैकिंग के हमले से बचाने के लिए भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपनी ओर से लगातार प्रयास कर रहे हैं। मेटा ने यूजर्स के लिए LLaMA एआई को पेश किया है। कंपनी का दावा है कि एआई चैटजीपीटी जैसी तकनीक के केस में ही संभावित खतरों से यूजर्स को सुरक्षा प्रदान करता है। यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी लिंक को आधिकारिक समझ कर क्लिक ना करें। यही नहीं, किसी भी सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने से पहले सावधानियां बरतें।
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