गुरुग्राम। हरियाणा के गुरुग्राम के एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मारुति विहार कॉलोनी में रहने वाली महिला ने तीन साल से खुद को अपने 10 साल के बेटे के साथ घर में कैद कर रखा। उसे डर था कि घर से बाहर निकलते ही कोरोना संक्रमण हो जाएगा। महिला के दिमाग पर संक्रमण का डर इतना गहरा था कि अपने पति को भी घर में आने से रोक दिया था। पति की शिकायत पर पुलिस ने स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ महिला और उसके बच्चे को घर से निकाला है।
मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले सुजान मांजी अपनी पत्नी मुनमुन मांजी और 10 वर्षीय बेटे शोभित के साथ मारुति विहार कालोनी में रहते हैं। सन 2020 में कोविड के दौरान लॉकडाउन होने पर सुजान मांजी ने भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया। कुछ दिन बाद कोविड नियमों में ढील देने के बाद मुनमुन ने अपने बेटे सहित खुद को संक्रमण फैल जाने के डर से फ्लैट में कैद कर लिया। यहां तक कि अपने पति सुजान मांझी को भी फ्लैट के अंदर आने से इनकार कर दिया।
पति को ये कहकर नहीं घुसने दिया घर के अंदर
मुनमुन की दलील थी कि वह ऑफिस जाता है इसलिए बाहर से संक्रमण आ सकता है। सुजान ने अपने परिवार, रिश्तेदार वाले सभी से फोन पर बात करवा कर मुनमुन को आश्वस्त करने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। अपनी पत्नी के व्यवहार को लेकर सुजान ने अपने ससुर को बताया, लेकिन वह भी समझाने में नाकाम रहे।
सुजान महीनों तक अपने एक रिश्तेदार तथा दोस्तों के पास रहे। उन्हें लगा कि कुछ दिन बाद कुछ बदल जाएगा लेकिन उनकी पत्नी की समस्या बढ़ती गई। जब पत्नी उनके समझाने पर नहीं मानी, तो उन्होंने डेढ़ साल पहले अपने घर के पास एक कमरा किराए पर लिया और पत्नी तथा बेटे से वीडियो कॉल से संपर्क रखते थे।
इन तीन सालों में सुजान अपनी पत्नी मुनमुन व बेटे के लिए राशन, सब्जियां, दूध आदि दैनिक जरूरतों की चीजों को मुनमुन वाले फ्लैट के बाहर रख दिया करता था। वह बिजली का बिल और किराया आदि चुकाता रहा। बेटे की क्लास आन लाइन फोन पर होती थी। मुनमुन ने कोरोना के डर से गैस सिलेंडर तक मंगवाना बंद कर दिया था और हीटर पर खाना पकाना शुरू कर दिया था। उन्हें डर था कि गैस सिलेंडर देने वाला कर्मचारी आएगा तो कोरोना संक्रमण हो जाएगा। मुनमुन कहना था कि जब तक बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक वह स्वयं को और अपने बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देगी।
तीन साल बाद पुलिस से मांगी मदद
अब करीब तीन साल बाद सुजान ने पुलिस से संपर्क किया था। पुलिस ने परिवार का मामला कह कर उन्हें लौटा दिया। इसके बाद सुजान की मुलाकात चकरपुर पुलिस पोस्ट पर नियुक्त ASI प्रवीण से हुई। सोमवार को पुलिस के साथ महिला-बाल विकास विभाग टीम और स्वास्थ्य टीम महिला के घर पहुंची। इसके बाद भी महिला ने गेट नहीं खोला। महिला ने जबरन गेट खुलवाने पर आत्महत्या तक करने की धमकी दी। टीम वापस लौट आई।
मंगलवार को टीम फिर पहुंची। टीम ने स्थिति को समझते हुए दरवाजा तोड़कर महिला तथा उसके बेटे को निकाल लिया, जिसके बाद दोनों को सेक्टर 10 के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां डाक्टरों ने महिला की काउंसिलिंग कर समझाया कि कोरोना संक्रमण खत्म हो चुका है। अस्पताल प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. रेनू सरोहा ने बताया कि मंगलवार को पुलिस महिला को अस्पताल में लेकर पहुंची थी। मरीज की बीमारी को देखते हुए उन्हें रोहतक पीजीआई भेज दिया गया था।
मानसिक बीमारी से ग्रस्त है महिला?
तीन साल तक अपने को बेटे के साथ खुद को घर में कैद रखने वाली महिला का कहना है कि वह सरकारी अस्पताल में नहीं, निजी अस्पताल में इलाज कराएगी। बुधवार को महिला रोहतक पीजीआइ से वापस गुरुग्राम आ गई है। बाल कल्याण समिति सदस्य सोनिया यादव का कहना है कि बुधवार को महिला गुुरुग्राम वापस आ गई है और वह निजी अस्पताल में इलाज कराना चाहती है। इस पर विचार किया जा रहा है कि इलाज कहां कराया जाए। डाक्टरों का कहना है कि महिला सीजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त है। इस मानसिक बीमारी में मरीज अक्सर रिश्तेदारों, दोस्तों से दूरी बनाकर खुद को एक कमरे तक सीमित कर लेता है।
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