लंदन। BBC यानी ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन पर हुई आयकर विभाग की कार्रवाई का मुद्दा ब्रिटेन की संसद में गूंजा है। हाउस ऑफ कॉमन्स में ब्रिटिश सरकार ने जानकारी दी है कि इस संबंध में भारत सरकार के साथ बातचीत की जा चुकी है। ब्रिटिश सरकार और विपक्षी लेबर पार्टी ने बीबीसी का बचाव किया और इनकम टैक्स सर्वे पर चिंता जाहिर की।
लेबर पार्टी के नेता फाबियन हैमिल्टन ने अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा हर कीमत पर किए जाने की मांग की। उन्होंने कहा, ‘बीबीसी के दफ्तरों पर छापा मारना काफी चिंताजनक है, फिर इसकी आधिकारिक वजह कुछ भी बताई जाए। दुनियाभर में बीबीसी को भरोसेमंद रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता है और उसे बगैर डर के रिपोर्टिंग की आजादी भी होनी चाहिए।’ डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी यानी DUP के सांसद जिम शैनन ने कार्रवाई के तार बीबीसी की डॉक्युमेंट्री ‘India: The Modi Question’ से जोड़ दिए। साथी ही मीडिया और पत्रकारों की अभिव्यक्ति की आजादी के दमन के आरोप लगाए। उन्होंने कहा, ‘हमें एकदम स्पष्ट होना चाहिए कि यह धमकाने वाली कार्रवाई थी। जिसे देश के नेता की आलोचना करती हुई डॉक्युमेंट्री जारी होने के बाद अंजाम दिया गया था।’
आयकर सर्वेक्षणों को लेकर विपक्ष के सवालों का ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) के लिए ब्रिटेन के संसदीय अवर सचिव डेविड रटली ने जवाब दिया। डेविड ने कहा, ‘हम बीबीसी के लिए खड़े हैं। हम बीबीसी को फंड करते हैं। हमें लगता है कि बीबीसी वर्ल्ड सर्विस बेहद महत्वपूर्ण है। हम चाहते हैं कि बीबीसी को संपादकीय स्वतंत्रता मिले। वह हमारी आलोचना करता है, वह लेबर पार्टी की भी आलोचना करता है। उसमें वह स्वतंत्रता है जो हमारे अनुसार बहुत महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता बहुत महत्वपूर्ण है और हम भारत सरकार सहित दुनियाभर के अपने दोस्तों को इसकी अहमियत के बारे में बताना चाहते हैं।
कंजर्वेटिव सांसद जूलियन लुईस और लेबर सांसद फैबियन हैमिल्टन ने कहा कि घटनाक्रम ‘बेहद चिंताजनक’ था। हैमिल्टन ने कहा, ‘किसी भी लोकतंत्र में मीडिया में ‘नतीजों के डर के बिना’ राजनीतिक नेताओं की आलोचना करने की क्षमता होनी चाहिए। यह स्पष्ट रूप से इस स्थिति में लागू होता है।’ जिम शैनन ने कहा, ‘साफ शब्दों में कहा जाए, यह देश के नेता को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री के बाद डराने-धमकाने का एक जानबूझकर किया गया कार्य था।’
बीते दिनों बीबीसी ने 2002 गुजरात दंगों पर एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज की थी जिसने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। न सिर्फ भारत बल्कि ब्रिटेन में भी इसका कड़ा विरोध हुआ था। भारत ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का हिस्सा’ बताया था। ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक ने भी इस पर असहमति जताई थी। डेविड ने कहा कि ब्रिटेन और भारत के बीच एक ‘मजबूत’ रिश्ता है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार पूरे घटनाक्रम पर करीब से नजर बनाए हुए है।
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