नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री और ब्रिटिश उद्यमी जॉर्ज सोरोस की टिप्पणी पर सवाल उठाया और कहा कि इसका समय ‘आकस्मिक’ नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उन लोगों की राजनीति है, जो खुले तौर पर राजनीतिक क्षेत्र में आने की हिम्मत नहीं रखते।
एस जयशंकर मंगलवार को समाचार एजेंसी एएनआई खास बातचीत में कहा कि हम सिर्फ एक डॉक्यूमेंट्री या भाषण पर बहस नहीं कर रहे हैं, जो किसी ने यूरोपीय शहर में दिया है या एक अखबार कहीं संपादित करता है। हम बहस कर रहे हैं, वास्तव में राजनीति, जिसे मीडिया के रूप में दिखाया जा रहा है। 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले विदेश मंत्री ने डॉक्यूमेंट्री के समय पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत, दिल्ली में चुनावी मौसम शुरू हो गया है या नहीं लेकिन निश्चित रूप से यह लंदन, न्यूयॉर्क में शुरू हो गया है।
भारत में पीएम मोदी के खिलाफ कुछ पश्चिमी मीडिया के पूर्वाग्रह के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा कि मेरा मतलब है कि यह एक दशक से चल रहा है। इसके बारे में भ्रम मत रखें। यह एक वैश्विक दुनिया है, लोग उस राजनीति को विदेशों में ले जाते हैं। 1984 में दिल्ली में बहुत कुछ हुआ था, हम उस पर एक डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं देखते हैं? यदि यह आपकी चिंता थी, तो आपको एक दिन अचानक महसूस होता है, “मैं बहुत मानवतावादी हूं, मुझे उन लोगों के लिए न्याय मिलना चाहिए, जिनके साथ अन्याय हुआ है।
एस जयशंकर ने कहा, ‘आप घटना दर घटना मत देखिए। पिछले कुछ वर्षों के बारे में सोचें- एक एपिसोड यहां, एक विशेषण वहां, एक तस्वीर… यह पत्थर पर गिरती उस बूंद की तरह है, जो लगातार टपक रही है… इसका मकसद एक ऐसी छवि को आकार देने का है, आप ऐसा दिखाना है कि आप अतिवादी दिखे… कोविड के दौरान हमने मुश्किल वक्त देखा था… आप हमारे कोविड के कवरेज को देखें। क्या दूसरे देशों में लोग नहीं मरे? क्या हमने वह कवरेज देखा, क्या आपने अन्य देशों से उस तरह की तस्वीरें देखीं?’
भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार किए गए ‘नैरेटिव’ का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि यहां नैरेटिव की ही लड़ाई चल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने लोगों को बेनकाब करने के लिए या अपने दृष्टिकोण को सामने रखने के लिए डिजाइन किए गए नैरेटिव को सामने रखा है।
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