गाजियाबाद। करीबन 15 साल पहले ब्रिटिश नागरिकों की कब्र तोड़ने के मामले में MP-MLA कोर्ट ने विधायक नंदकिशोर गुर्जर सहित पांचों आरोपियों को बरी कर दिया है। पांचों गवाह पुलिसकर्मी कोर्ट में आरोपियों की पहचान साबित नहीं कर पाए। मुकदमा दर्ज कराने वाले सब इंस्पेक्टर ने भी आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया।
21 सितंबर 2007 को नंदग्राम चौकी में तैनात सब इंस्पेक्टर जितेंद्र कॉलरा ने सिहानी गेट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसमें बताया था कि हिंडन विहार में करीब एक बजे अंग्रेजों की कब्र के पास 20-25 लोग शस्त्र और लाठी-डंडों के साथ एकत्र थे। इनका नेतृत्व छात्र नेता यतेंद्र नागर और नंदकिशोर गुर्जर कर रहे थे। वे कहने लगे कि अंग्रेजों ने इंग्लैंड व अन्य स्थानों पर भारतवर्ष पर 150 वर्ष पूर्व में शासन करने के जश्न मनाए हैं। जिसके विरोध में उत्तेजित हुए लोगों ने ब्रिटिश समुदाय की कब्र को तोड़ा व अमानित किया।
इस मामले में थाना नंदग्राम पर पांच युवकों यतेंद्र नागर, मुकेश, प्रदीप कुमार, प्रवीन कुमार और नंदकिशोर गुर्जर के विरुद्ध IPC सेक्शन-147, 148, 295, 427 और 7 क्रिमिनल एक्ट में FIR कराई थी। नंदकिशोर गुर्जर वर्तमान में लोनी क्षेत्र से विधायक हैं और यतेंद्र नागर बीजेपी के नेता हैं।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता पूर्व सचिव परविंदर नागर व अतुल्य शर्मा ने बताया कि सभी गवाह अदालत में पक्षद्रोही हो गए थे। इस कारण से सभी नामजद बरी हो गए। एमपी/एमएलए विशेष न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि शंकर गुप्ता ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले नंदग्राम थाने पर तैनात तत्कालीन सब इंस्पेक्टर जितेंद्र कालरा के खिलाफ झूठी गवाही देने पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया है।
युद्ध में जो अंग्रेज मारे गए, उन्हें गाजियाबाद में दफनाया
27 मई 1857 को अंग्रेजी सेना का जनरल विल्सन अपने सैनिकों के साथ मेरठ से दिल्ली के लिए चला था। 30 मई को दल गाजियाबाद पहुंचा। विल्सन की सेना के पास 60वीं रॉयल रायफल्स की चार कंपनियां, कारबाइनर्स, एक फील्ड बैटरी, ग्रुप हॉर्स आर्टिलरी, एक कंपनी हिंदुस्तानी सिपाही और 120 पैदल सैनिक थे।
वहीं, क्रांतिकारी हिंडन नदी के पार अंग्रेजों से मोर्चा लेने के लिए तैयार थे। दोनों की भिड़ंत हुई तो तमाम अंग्रेजों को मौत की नींद सुला दिया गया। कुछ अंग्रेजों के शवों को उसी वक्त गाजियाबाद में हिंडन रिवर मेट्रो स्टेशन के पास दफनाया गया था। ये कब्र आज भी मौजूद हैं।
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