नई दिल्ली। अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस द्वारा अडानी-हिंडनबर्ग मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करने के बाद केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पलटवार किया है। इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी सोरोस की टिप्पणी को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “सोरोस मानते हैं कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक नहीं है। कुछ समय पहले ही उन्होंने हम पर आरोप लगाया था कि हम करोड़ों मुस्लिमों की नागरिकता छीनने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि जाहिर तौर पर नहीं हुआ। मैं कह सकता है कि मिस्टर सोरोस एक बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले व्यक्ति हैं, जो कि अभी भी न्यूयॉर्क में बैठे हैं और सोचते हैं कि उनके विचारों से फैसला होना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे चलेगी।
जयशंकर ने आगे कहा, “मैं सोरोस को सिर्फ बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाला कहकर रुक सकता हूं। लेकिन वे बुजुर्ग, अमीर और राय रखने वाले के साथ खतरनाक भी हैं। जब ऐसे लोग और संस्थान विचार रखते हैं, तो वे अपने संसाधनों को नैरेटिव गढ़ने में लगा देते हैं।”
जयशंकर ने कहा, “सोरोस जैसे लोगों को लगता है कि चुनाव तभी अच्छे हैं, जब उनकी पसंद का व्यक्ति जीत जाए। लेकिन अगर चुनाव का नतीजा कुछ और होता है, तो वह उस देश के लोकतंत्र को त्रुटिपूर्ण कहने लगते हैं और यह सब एक खुले समाज की वकालत करने के नाम पर किया जाता है।”
भारत के लोकतंत्र पर भी की टिप्पणी
भारत के विदेश मंत्री ने लोकतंत्र पर अपनी राय रखते हुए कहा, “आज जब मैं अपने लोकतंत्र को देखता हूं। यहां पर मतदाताओं की भागीदारी, जो कि अभूतपूर्व है; चुनाव के नतीजे, जो कि निर्णायक हैं; चुनावी प्रक्रिया, जिस पर सवाल नहीं उठते। हम वह देश नहीं हैं, जहां चुनाव के बाद इसे चुनौती देने के लिए कोई कोर्ट जाता है।”
क्या कहा था सोरोस ने?
बता दें कि अडानी मुद्दे को लेकर सोरोस ने कहा था, मोदी इस मुद्दे पर शांत हैं। उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों के जवाब देने होंगे। सोरोस ने म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में कहा था कि यह भारत की संघीय सरकार पर मोदी की पकड़ को काफी कमजोर कर देगा और बहुत जरूरी संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने के दरवाजा खोल देगा। मुझे उम्मीद है कि भारत में एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा। वहीं स्मृति ने कहा कि विदेशी धरती से भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे को हिलाने का प्रयास किया जा रहा है। जॉर्ज सोरोस ने भारत के लोकतंत्र में दखल देने की कोशिश की और पीएम मोदी उनके निशाने पर हैं। आज देश की जनता को एक नागरिक होने के नाते अह्वान करना चाहिए और इस विदेशी ताकत को जवाब देना चाहिए।
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