नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित साप्ताहिक पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र से जुड़े सोशल मीडिया लिंक को प्रतिबंधित करने के आदेश को लेकर केंद्र सरकार को नोटिस भेजने के लिए उच्चतम न्यायालय की आलोचना की। पत्रिका ने कहा कि भारत विरोधी तत्व कथित रूप से शीर्ष अदालत का औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
चजन्य पत्रिका के ताजा अंक के संपादकीय लेख में लिखा गया है कि मानवाधिकार के नाम पर आतंकवादियों को बचाने की कोशिशों, पर्यावरण के नाम पर भारत के विकास में बाधा डालने के बाद अब यह कोशिश की जा रही है कि देश विरोधी ताकतों को देश के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने का अधिकार भी मिलना चाहिए। लेख के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट को देशहित की सुरक्षा के लिए बनाया गया था लेकिन यह देश विरोधी ताकतों द्वारा अपना रास्ता साफ करने के लिए टूल की तरह इस्तेमाल हो रहा है। लेख के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट देश के करदाताओं के पैसे से, भारतीय कानून से और भारतीयों की भलाई के लिए चलता है।
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को बताया प्रोपेगेंडा
पंचजन्य के लेख में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को भारत को बदनाम करने के लिए प्रोपेगेंडा बताया गया है और दावा किया गया है कि यह गलत और काल्पनिकता पर आधारित है। देश विरोधी ताकतें हमारे लोकतंत्र, हमारी दयालुता और हमारी सभ्यता के मानकों का हमारे ही खिलाफ फायदा लेना चाहती हैं। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते हफ्ते ही बीबीसी पर भारत में प्रतिबंध लगाने की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने याचिका की मेरिट को आधारहीन बताया था।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार द्वारा बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका भी लंबित है, जिस पर कोर्ट अप्रैल में सुनवाई करेगी। बता दें कि बीबीसी ने साल 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री मोदी की कथित भूमिका को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी, जिसे केंद्र सरकार ने प्रोपेगेंडा बताते हुए भारत में दिखाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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