तुर्की और सीरिया में आए विनाशकरी भूकंप में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 34 हजार के आंकड़े को पार कर गई है और दुनिया के कई देश मिलकर तुर्की में राहत और बचाव अभियान चला रहे हैं। भारतीय सेना और NDRF की मदद से छह साल की एक बच्ची को मलबे से जिंदा बाहर निकाला गया। इस 6 साल की बच्ची को बाहर निकालने में दो भारतीय स्निफर डॉग्स जूली और रोमियो ने अहम भूमिका निभाई है।
भारत की तरफ से भी एनडीआरएफ का दल राहत और बचाव कार्यों में जुटा है। इस दल के साथ स्निफर डॉग्स भी तुर्किये भेजे गए हैं। एनडीआरएफ की एक टीम तुर्किये के नुरदागी इलाके में राहत और बचाव कार्यों में जुटी है। इसी दौरान एनडीआरएफ के स्निफर डॉग जूली ने मलबे में एक जगह भौंकना शुरू कर दिया। एनडीआरएफ के जवान समझ गए कि जूली को मलबे में किसी जिंदा व्यक्ति के संकेत मिले हैं। इसके बाद दूसरे डॉग रोमियो को भी उसी जगह भेजा गया तो उसने भी भौंकना शुरू कर दिया। इसके बाद एनडीआरएफ के जवानों को पता चल गया कि यहां कोई जिंदा व्यक्ति मलबे में फंसा हुआ है।
इसके बाद जवानों ने उसी जगह सावधानी से मलबा हटाना शुरू किया तो छह साल की बच्ची वहां से जीवित मिली। बच्ची की पहचान छह साल की बेरेन के रूप में हुई है। फिलहाल बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है।
भारतीय टीम ने कहा है कि कुत्तों ने मलबे में फंसी बच्ची के जिंदा होने का पता लगाया और उसके बाद उस बच्ची को मलबे से बाहर निकाला गया। रेस्क्यू टीम का कहना है, कि इन दोनों की मदद के बिना शायद बच्ची को जिंदा बाहर नहीं निकाला जा सकता था। रोमियो और जूली वहां सफल हुए, जहां मशीनें नाकाम हो गईं। सैकड़ों टन मलबे के नीचे छोटी बच्ची के ठिकाने का पता लगाने में डॉग स्क्वायड ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आपको बता दें, कि भारत ने तुर्की में 7.8 तीव्रता के भूकंप के तुरंत बाद ‘ऑपरेशन दोस्त’ की घोषणा की थी और अपने इस मिशन का नाम ऑपरेशन ‘दोस्त’ रखा है। भारत ने तुर्की में राहत और मानवीय सहायता सहित खोज और बचाव कार्यों के लिए 60 बेड का पैरा फील्ड अस्पताल और एनडीआरएफ समेत इंडियन आर्मी की टीम को भेजा है। भारत सरकार के इस अभियान की तुर्की में काफी तारीफ की जा रही है।
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