नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख महमूद मदनी ने कहा कि इस्लाम बाहर से नहीं आया। हिन्दुस्तान ही इसकी जन्मभूमि है। जमीयत चीफ ने एर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस धरती (हिंदुस्तान) की खासियत यह है कि यह पहले पैंगबर की जमीन हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा कि देश में मुसलमानों के खिलाफ विरोध की भावनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद का महाअधिवेशन आज से जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के अध्यक्षता में नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में आरंभ हुआ। जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख ने कहा कि भारत मुसलमानों की पहली मातृभूमि है। ये कहना कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो बाहर से आया है, ये बात निराधार है। इस्लाम सभी धर्मों में सबसे पुराना धर्म है और भारत हिंदी भाषी मुसलमानों के लिए सबसे अच्छा देश है।
कार्यक्रम में मदनी ने इस्लामोफोबिया और नफरत फैलाने वाले भाषणों में कथित वृद्धि पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत और उकसावे के मामलों के अलावा इस्लामोफोबिया में वृद्धि हाल के दिनों में हमारे देश में खतरनाक स्तर तक बढ़ गई है। उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ सजा की मांग की।
सरकार खामोश है- महमूद मदनी
संगठन ने देश में बढ़ते नफरती अभियान और इस्लामोफोबिया में बढ़ोतरी समेत कई प्रस्तावों को पारित किया। जमीयत ने आरोप लगाया, “देश में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत और उकसावे की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सबसे दुखद बात यह है कि यह सब सरकार की आंखों के सामने हो रहा है लेकिन वह खामोश है। मदनी ने कहा कि इस्लाम भारत का ही मजहब है और सारे मजाहिद और सारे धर्मों में सबसे पुराना मजहब है। इस्लाम के आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इसी दिन को मुकम्मल करने के लिए तशरीफ लाए थे।
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