लंदन। भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी पर बीते साल न्यूयार्क में जानलेवा हमला किया गया था। इस हमले में उनकी जान बाल-बाल बची थी। हालांकि इस हमले में उन्होंने एक आंख की रोशनी हमेशा के लिए खो दी थी। इस घटना के छह महीने के बाद उन्होंने अपना एक नया उपन्यास प्रकाशित किया है।
किताब ‘विक्ट्री सिटी’ को सलमान रुश्दी ने हमले से पहले ही लिख दिया था लेकिन वह इसका प्रकाशन नहीं करा पाए थे। यह उपन्यास मूल रूप से संस्कृत में लिखे गए एक ऐतिहासिक महाकाव्य का अनुवाद है। इस किताब में एक युवा अनाथ लड़की पम्पा कम्पाना की कहानी है जो जादुई शक्तियों के साथ जन्म ली हुई है। उस पर एक देवी की कृपा है और शहर को आधुनिक भारत में बिस्नगा के रूप में दर्शाती है।
गौरतलब है कि रुश्दी पर उस वक्त जानलेवा हमला हुआ था जब वह स्पैन के अखबार एल पाइस को इंटरव्यू दे रहे थे। रुश्दी पर इस दौरान हमलावर हादी मतर ने गर्दन पर कई वार कर दिए थे। हमले में रुश्दी ने एक आंख और एक हाथ भी गंवा दिया था। इस जानलेवा हमले के बाद अपने पहले साक्षात्कार में रुश्दी ने कहा कि वह सबसे पहले उनका समर्थन करने वाले लोगों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं। मैं उन लोगों का आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ एकजुटता दिखाई।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अब उठने और चलने में सक्षम हूं। मैं ठीक हूं, लेकिन मेरे शरीर के कुछ हिस्सों को लगातार जांच की जरूरत है। यह बहुत बड़ा हमला था।
यह पूछे जाने पर कि ईरान के पूर्व सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खुमैनी के कथित ‘ईशनिंदा’ को लेकर उनकी हत्या करने के फतवे के वर्षों हो जाने के कारण उनके द्वारा न्यूयॉर्क में सुरक्षा नहीं लेना एक गलती थी, रुश्दी ने जवाब दिया कि मैं खुद से वह सवाल पूछ रहा हूं, और मुझे इसका जवाब नहीं पता। इस मामले को कई वर्ष हो गए थे। तो, क्या वह गलती है?
मुझे अपने जीवन पर कोई पछतावा नहीं…
प्रसिद्ध लेखक ने कहा, मैंने कई किताबें लिखी हैं। ‘द सेटेनिक वर्सेज’ (The Satanic Verses) मेरी पांचवीं पुस्तक तथा चौथा उपन्यास था। ‘विक्ट्री सिटी’ (Victory City) मेरी 21वीं किताब है। इसलिए एक लेखक के रूप में मेरी तीन-चौथाई किताबें फतवा के बाद प्रकाशित हुईं। इसलिए मुझे अपने जीवन पर कोई पछतावा नहीं है। रुश्दी ने कहा कि वह लोगों की सहानुभूति से बहुत प्रभावित हुए है। उन्होंने मौत को बहुत करीब से देखा, जिससे वह और दृढ़ संकल्पित हुए।
बता दें कि सलमान रुश्दी पर हुए इस हमले से 33 साल पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह रुहोल्लाह खौमैनी ने उनकी ‘द सेटेनिक वर्सेस’ को लेकर उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। इसमें उन्होंने उनका सिर कलम करने की बात कही थी। इस किताब को ईशनिंदा के तौर पर देखा गया था। रुश्दी मुस्लिम-कश्मीरी परिवार में भारत में जन्मे थे। चूंकि, उन पर फतवा जारी था इसलिए उन्हें 9 साल ब्रिटिश पुलिस की सुरक्षा में गुजारने पड़े थे।
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