गाजियाबाद। लोनी स्थित लाइफ लाइन अस्पताल में प्रसव के दौरान गर्भवती की होने के मामले में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद अस्पताल को सील कर दिया गया। अस्पताल संचालक सोनू कुमार के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
सरस्वती विहार कॉलोनी में रहने वाले चंद्रकांत ने बताया कि उनकी पत्नी नेहा को प्रसव पीड़ा के बाद शनिवार शाम को लाइफलाइन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रात एक बजे उनकी पत्नी को प्रसव के लिए लेबर रूम में ले जाया गया। जांच करने के बाद अस्पताल के स्टाफ ने सामान्य प्रसव होने से मना कर दिया और आपरेशन करने की बात कही। आपरेशन में 70 हजार रुपये का खर्च बताया गया।
उन्होंने जच्चा-बच्चा की जान बचाने के लिए आपरेशन करने की हामी भर दी। इसके बाद वह 70 हजार रुपये का इंतजाम करने में जुट गए। पत्नी की हालत गंभीर होने लगी। डॉक्टरों ने रविवार को उनकी पत्नी को जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया। जब वह पत्नी को जीटीबी लेकर पहुंचे तो डाक्टरों ने उसे व उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों ने इसकी पुलिस व स्वास्थ्य विभाग से शिकायत की।
मुख्य चिकित्साधिकारी भवतोष शंखधर की अध्यक्षता में उप मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नरेश पाल व प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने सोमवार को लाइफ लाइन अस्पताल व ट्रामा सेंटर का निरीक्षण किया। डॉ. नरेश पाल ने बताया कि अस्पताल स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत था लेकिन प्रसव के लिए पंजीकृत नहीं था और अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ नहीं थी।
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