नई दिल्ली। अमेरिका और पश्चिमी देशों के भारी विरोध के बाद भी मोदी सरकार ने अपनी विदेश नीति से बिलकुल भी समझौता नहीं किया था। भारत ने रूस के साथ अपना व्यापार जारी रखा है। दोनों देशों के मजबूत रिश्तों का ही नतीजा है कि अब रूस भारत का चौथा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है।
रूस से कच्चे तेल (Crude Oil) के आयात में पिछले कुछ महीनों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है। भारत अब इसके साथ ही कुछ अन्य चीजों का आयात भी तेजी से बढ़ा रहा है। इनमें धनिया (coriander seed) पिछले कुछ समय में ही काफी तेजी पकड़ चुका है। खास बात यह है कि भारत परंपरागत रूप से रूस से थर्मल कोयले और पेट्रोलियम पदार्थों का ही आयात करता है। भारत के आधिकारिक व्यापार डेटा से पता चलता है कि रूस से धनिया के बीज का आयात चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में साल-दर-साल 1313% बढ़कर 23,000 टन से थोड़ा अधिक हो गया।
आंकड़ों पर नजर डालें तो रूस से मसाले का आयात अप्रैल-नवंबर में 1272% बढ़कर 18.64 मिलियन डॉलर हो गया जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में अपेक्षाकृत मामूली 1.36 मिलियन डॉलर था। अप्रैल-नवंबर में भारत में धनिया के बीज का कुल आयात साल-दर-साल लगभग 250% बढ़कर 26,143 टन हो गया। भारत के धनिया बीज के आयात में रूस का हिस्सा 88% था। रूस से कमोडिटी के आयात की बात करें तो अप्रैल-नवंबर में सालाना आधार पर दोगुने से भी अधिक बढ़कर 10.20 मिलियन डॉलर से 22.24 मिलियन डॉलर हो गया।
धनिया से प्रमुख निर्यातक कौन हैं?
धनिया के प्रमुख निर्यातक देशों में रूस, इटली और बुल्गारिया शामिल हैं। अप्रैल-नवंबर में इटली और बुल्गारिया से धनिया बीज के आयात में साल-दर-साल क्रमशः 83.9% और 40.8% की तेजी से गिरावट आई। 2021-22 के इसी आठ महीनों में इटली भारत का सबसे बड़ा मसाला आपूर्तिकर्ता था, जबकि बुल्गारिया रूस के पीछे तीसरे स्थान पर था। बता दें कि धनिया एक रबी फसल है जिसकी बुआई अक्टूबर-दिसंबर में होती है और कटाई फरवरी से मई तक होती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात प्रमुख धनिया उत्पादक राज्य हैं। भारत में धनिया बीज की सबसे प्रमुख किस्म ईगल, डबल तोता, सिंगल तोता और सुपर ग्रीन अन्य प्रमुख किस्में हैं।
रूस के साथ हैं भारत के मजबूत रिश्ते
रूस के साथ भारत के रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं। भारत रूस से बड़ी मात्रा में हथियार भी खरीदता है। आंकड़ों के मुताबिक 1991 के बाद से अब तक भारत रूस से 70 बिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण खरीद चुका है क्योंकि अमेरिकी उपकरणों की तुलना में रूस के हथियार सस्ते भी हैं। पुतिन और मोदी की दोस्ती भी काफी मजबूत है। दुनिया के मंच पर भारत की ताकत कैसे बढ़ रही है इस बात को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयान से समझा जा सकता है। रूसी राष्ट्रपति ने कई मौकों पर जमकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है।
रूस के खिलाफ नहीं गया भारत
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही यूरोपीय देशों की ओर से रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने शुरू हो गए थे। अमेरिका समेत कुछ और देश ऐसा चाहते थे कि जो वह फैसला कर रहे हैं उसे बाकी देश भी माने। अमेरिका और पश्चिमी देश भारत से अपेक्षा कर रहे थे कि वह रूस के खिलाफ एक्शन में उनका साथ दे लेकिन भारत अपने स्टैंड पर कायम रहा था। इसके बाद रूस से तेल आयात करने का भारत ने बड़ा फैसला किया था। इस फैसले से भी कई देशों को हैरानी हुई वहीं भारत ने यह बता दिया था कि जो देशहित में होगा वही होगा। भारत ने पिछले साल इस पूरे मुद्दे पर यह क्लियर कर दिया था कि जिस तरह अन्य देश अपने-अपने हितों को तवज्जो देते हैं, उसी तरह भारत भी रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को ध्यान में ही रखकर फैसला करेगा।
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