तसलीमा नसरीन ने लगाया जबरन हिप रिप्लेसमेंट करने का आरोप

कोलकाता। प्रसिद्ध बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने अपोलो अस्पताल पर उनका ‘गलत इलाज’ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि अस्पताल ने उन्हें टोटल हिप रिप्लेसमेंट से गुजरने के लिए ‘मजबूर’ किया, जबकि उन्हें हिप फ्रैक्चर नहीं हुआ था। हालांकि अपोलो अस्पताल ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन लेखिका की मंजूरी के बाद ही किया गया था और इसके लिए उनकी औपचारिक सहमति भी ली गई थी।

तसलीमा नसरीन ने एक के बाद एक कई ट्वीट्स में कहा कि ‘वह घुटने के दर्द के लिए अस्पताल गई थीं, लेकिन उन्हें बताया गया कि उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई है। उन्होंने लिखा है, ‘मैं घुटने में दर्द के चलते अपोलो गई थी। डॉ. यतींद्र खरबंदा ने मुझे बताया कि मेरा हिप फ्रैक्चर था, लेकिन मुझे एक्सरे/सीटी नहीं दिखाया। इसके इलाज के लिए मुझे 13 जनवरी की देर रात भर्ती कराया गया था लेकिन 14 जनवरी की सुबह उन्होंने मुझे टोटल हिप रिप्लेसमेंट के लिए मजबूर किया गया। बाद में कोई हिप फ्रैक्चर नहीं मिला और एक गलत डिस्चार्ज समरी बनाया गया।

तसलीमा नसरीन ने अपने अनुभव को बताया बुरा सपना
नसरीन ने अपने इस अनुभव को एक ‘दुःस्वप्न’ करार देते हुए आरोप लगाया कि उनके शरीर के स्वस्थ अंगों को उस बीमारी के इलाज के नाम पर हटा दिया गया, जो उन्हें था ही नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने “अपनी विकलांगता खरीदने’ के लिए 7,42,845 रुपये का पेमेंट तक किया।

इससे पहले तसलीमा ने एक ट्वीट में लिखा था कि मेडिकल ठगी का शिकार हुई हूं। मैं स्वस्थ्य थी। घुटने के इलाज के नाम पर उन्होंने कूल्हे की हड्डियों को काट कर अलग कर दिया है। उन्होंने मेरी जांघ की हड्डी को कहीं फेंक दिया और मेरे अंदर धातु फिट कर दी। उन्होंने हमें हमेशा के लिए अपाहिज बना दिया है।

अपोलो अस्पताल ने आरोपों का किया खंडन
वहीं अपोलो अस्पताल ने तसलीमा नसरीन के इन आरोपों का खंडन किया है। अस्पताल के के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा, ‘मरीज ने गिरने की बात बताई थी, जिससे वह चल-फिर नहीं पा रही थी। इस फील्ड में तीन दशकों से अधिक के अनुभव वाले एक सक्षम और अनुभवी सर्जन ने निर्धारित डायग्नोस्टिक और वर्क अप टूल्स का उपयोग करके स्थिति का निदान किया।’

तस्लीमा नसरीन ने मजाक उड़ाने वालों को दिया जवाब
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से बीमारी का मजाक उड़ाने वाले लोगों पर कटाक्ष करते हुए लिखा, “मेरी बीमारी पर जिहादी बहुत खुश हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि यह ईश्वर के प्रकोप से हुआ है। जहर निगलने के बाद उनके पैगंबर बहुत बीमार हो गए थे और उनकी बहुत दर्दनाक मौत हुई थी। उनको तो कुछ दिनों तक दफनाया भी नहीं गया था। क्या वह ईश्वर का प्रकोप नहीं था? कम से कम मेरी लाश सड़ेगी तो नहीं क्योंकि मैंने अपना शरीर मेडिकल कॉलेज को दान में दे दिया है।”

निर्वासित हैं तसलीमा
गौरतलब है कि 90 के दशक में तसलीमा नसरीन ने नारीवाद पर लिखा। उन्होंने उन धर्मों की आलोचना की जो महिला विरोधी थे। इसके बाद उनके खिलाफ कई फतवे जारी किए गए।उनकी जान को खतरा बताया गया। इसके बाद साल 1994 में वह निर्वास में रहने लगीं। वह साल 2004 में भारत आ गईं, तब से वह यहीं हैं।

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