लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाए जाने को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। प्रतियां जलाने का सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो रहा है।
ओबीसी महासभा के पदाधिकारी देवेंद्र यादव के नेतृत्व में रविवार सुबह वृंदावन कालोनी के पास महासभा के लोग पहुंचे। वहां पर पूर्व मंत्री व सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या के समर्थन का बैनर लगाया। फिर रामचरित मानस की प्रतियां फाड़ दी। इसके बाद प्रतियों के टुकड़ों में आग लगा दिया। पदाधिकारियों का आरोप है कि रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास ने इसमें कुछ आपत्तिजनक चौपाईयां लिखी हैं जिन्हें निकाला जाना चाहिए। यह नारियों व शूद्रों के संबंध में अपमानजनक है। प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की है कि रामचरित मानस से इन चौपाईयों को हटा दिया जाए। नहीं तो पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा। पदाधिकारियों ने कहा कि अभी प्रतियों में आग लगाई गई है, लेकिन इसे हटाया नहीं गया तो मानस की प्रतियां पूरे देश में जलाकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
इस मामले में बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा की जिला कार्य समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह ने 10 नामजद और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य, देवेंद्र प्रताप यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येंद्र कुशवाहा, महेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, नरेश सिंह, एस एस यादव, संतोष वर्मा, सलीम और कुछ अज्ञात लोग हैं। थानाध्यक्ष राजेश राणा ने बताया कि सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा- 153-ए, 295 ए, 505 और 298 और आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
सपा नेता अपने बयान पर कायम
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना है, “गाली कभी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। अपमान करना किसी धर्म का उद्देश्य नहीं होता। जिन पाखंडियों ने धर्म के नाम पर पिछड़ो, महिलाओं को अपमानित किया, नीच कहा, वो अधर्मी हैं…किसने कहा रामचरितमानस धार्मिक ग्रंथ है? तुलसीदास ने तो नहीं कहा।”
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