Hindenburg की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप को भारी नुकसान, अब लीगल एक्शन की तैयारी

नई दिल्ली। अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद गौतम अडानी की कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई। माना जा रहा है कि इससे करीब 50 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म Hindenburg की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर कई सवाल खड़े किए गए हैं। अब अडाणी समूह पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद अब कंपनी पलटवार की तैयारी में है।

समूह के विधि मामलों के प्रमुख जतिन जलुंधवाला ने कहा, ‘‘हिंडनबर्ग रिसर्च ने गलत इरादे से बिना कोई शोध और पूरी जानकारी के समूह के खिलाफ 24 जनवरी, 2023 को रिपोर्ट प्रकाशित की। इससे अडाणी समूह, हमारे शेयरधारकों और निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भारतीय शेयर बाजार में रिपोर्ट के जरिये जो उतार-चढ़ाव आया, वह काफी चिंता की बात है।’’

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट और उसकी निराधार बातें कुछ और नहीं बल्कि अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतों को नुकसान पहुंचाने के लिये तैयार की गयी थीं। जलुंधवाला ने कहा, ‘‘एक विदेशी इकाई ने जानबूझकर और बिना सोचे-विचारे निवेशक समुदाय और आम लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है। उसने अडाणी समूह, उसके नेतृत्व की साख को बट्टा लगाने के साथ हमारी प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज के एफपीओ (अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम) की बिक्री को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। हम उसकी इन हरकतों से काफी परेशान हैं।’’

कंपनी के अनुसार ‘‘हम हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ अमेरिकी और भारतीय कानून के तहत निपटने और दंडात्मक कार्रवाई पर गौर कर रहे हैं।’’ हालांकि समूह ने यह साफ नहीं किया कि क्या वह कंपनी के खिलाफ मुकदमा करने की योजना बना रही है।

क्या कहा गया है रिपोर्ट में
अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग के अनुसार उसके दो साल के शोध के बाद यह पता चला कि अडाणी समूह दशकों से ‘खुल्लम-खुल्ला शेयरों में गड़बड़ी और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च अपनी रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप से 88 सवाल किए हैं। रिपोर्ट में समूह से पूछा गया है कि गौतम अडानी के छोटे भाई राजेश अडानी को ग्रुप का एमडी क्यों बनाया गया है। जबकि उनके ऊपर कस्टम टैक्स चोरी, फर्जी इंपोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और अवैध कोयले का इंपोर्ट करने का आरोप लगाया गया था। एक अन्य सवाल में एजेंसी ने ग्रुप से पूछा है कि गौतम अडानी के बहनोई समीरो वोरा का नाम डायमंड ट्रेडिंग स्कैम में आने के बाद भी अडानी ऑस्ट्रेलिया डिवीजन का एक्जक्यूटिव डॉयेरक्टर क्यों बनाया गया है?

Hindenburg रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक गौतम अडानी का नेटवर्थ 120 अरब डॉलर है। इसमें से 100 अरब डॉलर से ज्यादा का इजाफा पिछले तीन साल में हुआ। इसका कारण समूह की सूचीबद्ध सात कंपनियों के शेयरों में तेजी है। इनमें इस दौरान औसतन 819 प्रतिशत की तेजी हुई है।

रिपोर्ट में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली शेल कंपनियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। कंपनियां कैरेबियाई और मॉरीशस से लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) तक में है। इसमें दावा किया गया है कि इन इकाइयों का उपयोग भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग और कर चोरी को अंजाम देने के लिए किया गया। साथ ही समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के धन की हेराफेरी के लिये भी इसका उपयोग किया गया।

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