कानून मंत्री ने कॉलेजियम सिस्टम पर फिर उठाया सवाल, पूर्व जज ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को हाईजैक कर लिया है

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नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति के लिए अपनाई जाने वाली कॉलेजियम प्रक्रिया को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। कानून मंत्री रिजिजू ने पत्र लिखकर कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधि को शामिल करने की मांग की थी। अब एक बार फिर उन्होंने हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज का एक इंटरव्यू शेयर कर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को आड़े हाथों लिया है।

रिजिजू ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर.एस. सोढ़ी (सेवानिवृत्त) के एक साक्षात्कार का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह ‘‘एक न्यायाधीश की आवाज” है और अधिकांश लोगों के ऐसे ही समझदारीपूर्ण ‘‘विचार” हैं। न्यायमूर्ति सोढ़ी ने कहा था कि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। कानून मंत्री ने यह भी कहा, ‘वास्तव में अधिकांश लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं। केवल कुछ लोग हैं, जो संविधान के प्रावधानों और जनादेश की अवहेलना करते हैं और उन्हें लगता है कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं।’

साक्षात्कार में न्यायमूर्ति सोढ़ी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत कानून नहीं बना सकती, क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है। न्यायमूर्ति सोढ़ी ने कहा, ‘‘क्या आप संविधान में संशोधन कर सकते हैं? केवल संसद ही संविधान में संशोधन करेगी। लेकिन यहां मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय ने पहली बार संविधान का अपहरण कर लिया। अपहरण करने के बाद उन्होंने (उच्चतम न्यायालय ने) कहा कि हम (न्यायाधीशों की) नियुक्ति खुद करेंगे और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी।’

मंत्री ने ट्वीट किया, ‘भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है। लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से खुद पर शासन करते हैं। चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं। हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा संविधान सर्वोच्च है।’ इसके कुछ देर बात रीजीजू ने फिर ट्वीट कर कहा कि राज्य के तीनों अंगों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – को राष्ट्र के व्यापक हित में एक साथ काम करना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक प्रमुख संघर्ष बिंदु बन गई है।

एससी और एचसी में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया टकराव का कारण
बता दें कि काफी लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति का मुद्दा कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव का कारण बन गई है। एनजेएसी कानून लाकर सरकार ने 1992 में अस्तित्व में आई कॉलेजियम प्रणाली को उलटने की कोशिश की थी। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्तियों को मंजूरी देने में देरी पर शीर्ष अदालत ने सरकार से सवाल किया है।

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