मजदूर पिता के तीन बच्चों ने बिना कोचिंग के एक साथ क्रैक की सिविल सेवा परीक्षा

श्रीनगर। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में इतिहास रचते हुए डोडा जिले के सुदूर कहारा इलाके के तीन भाई-बहनों ने प्रतिष्ठित जम्मू कश्मीर सिविल सेवा परीक्षा (JKCSE) में सफलता हासिल की है।

जम्मू में बहू किले के पास शाहबाद कॉलोनी निवासी मुनीर अहमद वानी 15,000-20,000 रुपये के बीच मासिक श्रमिक ठेकेदार के रूप में काम करते हैं। तीन कमरों के घर में उनका परिवार रहता है। जम्मू में घर को मुनीर ने अपने बहनोई सादिक हुसैन वानी (डोडा जिले के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक) के साथ साझेदारी में खरीदा था, ताकि उनके बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। उन्होंने कहा कि भाई-बहनों को कमरा साझा करना पड़ता था क्योंकि सर्दियों में घर में 10-12 और गर्मियों में 6-8 लोग हुआ करते थे। मुनीर राजौरी ने कहा, “मुझे भी नहीं पता था कि ये बच्चे परीक्षा में शामिल हुए हैं। जब मेरे एक मित्र ने मुझे व्हाट्सएप पर परिणाम भेजा, तो यह मेरे लिए सुखद आश्चर्य के रूप में आया।”

उनके तीन बच्चों सुहेल अहमद वानी को 111, हुमा को 117 और इफरा को सिविल परीक्षा में 143वां स्थान मिला है। तीनों भाई-बहनों ने कहारा और पास के किश्तवाड़ शहर से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। सुहेल ने 2019 में गवर्नमेंट एमएएम कॉलेज (MAM College) से स्नातक की डिग्री हासिल की। हुमा और इफरा ने 2020 में इग्नू से पत्राचार के माध्यम से राजनीति विज्ञान में एमए किया। भाई-बहनों ने 2021 में सिविल सेवाओं की तैयारी करने का फैसला किया।

इफरा ने कहा, “हमारे पिता की मामूली मासिक आय को देखते हुए हमारे पास कोई मोबाइल फोन नहीं था। प्रत्येक विषय में केवल एक किताब थी जिसे हमें साझा करना था। इस कारण हुमा और सुहैल के बीच हमेशा एक विशेष विषय का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलने के मुद्दे पर बहस होती थी। मैं उनके बीच मध्यस्थ हुआ करती थी और उन्हें एक दूसरे के साथ सहयोग करने के लिए राजी करती थी।”

हुमा ने कहा कि सामग्री और मार्गदर्शन के संबंध में हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वहीं इफरा ने कहा कि अल्लाह की कृपा से हम सभी ने कर दिखाया है परीक्षा परिणाम बताते हैं कि केवल एक ही दिन में उनका जीवन बदल गया है। सुहैल जो पुलिस सेवा में शामिल होना चाहते थे, उन्होंने कहा, “यह हम सभी के लिए एक पूर्ण यू-टर्न है यह शक्ति और जिम्मेदारी दोनों लाता है।” सुहेल जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स के खतरे के खिलाफ काम करना चाहते हैं, जबकि उनकी बहनें नागरिक प्रशासन में शामिल होना चाहती हैं और समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों की सेवा करना चाहती हैं।

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