वाशिम। महाराष्ट्र के वाशिम में आक्रांता औरंगजेब को लेकर विवाद हो गया है। बीती रात यहां का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कुछ युवा मुगल शासक औरंगजेब का फोटो लेकर डांस कर रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद हिंदू संगठनों ने आपत्ति ली। मामला पुलिस तक पहुंच गया है और आरोपी युवकों को हिरासत में ले लिया गया है।
पुलिस के मुताबिक, यह घटनाक्रम 14 जनवरी की रात का है। यहां मंगरुलपीर में दादा हयात कलंदर साहब का जुलूस निकाला गया था। इस जुलूस में भारी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिया था। जुलूस में एक मौके कुछ युवक मुगल शासक औरंगजेब की बड़ी फोटो लेकर आ गए और डांस करने लगे। मौके पर मौजूद लोगों ने इसके वीडियो बनाए जो वायरल हो गए हैं। हिंदू संगठनों का आरोप है कि जुलूस में नाचने वालों की भीड़ में दो बड़े-बड़े फोटो लहराए गए, जिसमें एक टीपू सुल्तान और दूसरा फोटो औरंगजेब का था।
पुलिस ने दर्ज किया केस, शहर में तनाव
ताजा खबर यह है कि पुलिस ने 8 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कीर रणनीति बनाई है। हिंदू संगठनों का कहना है कि शहर का माहौल बिगाड़ने के लिए जानबूझकर यह हरकत की है।
तुड़वा दिए मंदिर
औरंगजेब एक क्रूर आक्रांता था। उसका खुद का इकबाली बयान कलीमत-ई-तय्यीबत में दर्ज है, जिसमें वो अपने पोते बिदार बख्त से कहता है-‘औरंगाबाद के पास सतारा गांव मेरे शिकार की जगह था हां पहाड़ पर खांडेराय की छवि वाला एक मंदिर था। अल्लाह के फजल से मैंने उसे ढहा दिया।’ इसी औरंगाबाद के ख़ुल्दाबाद में औरंगजेब की एक मजार है, जिसे मनसे ने ढहाने की धमकी दी तो एएसआई ने उस पर पांच दिन के लिए ताला जड़ दिया। ये सब कुछ उस मसले के बीच हुआ जिस पर आज पूरे देश में शोर है और हिंदू-मुस्लिम के बीच अपने-अपने धार्मिक स्थल होने के दावों का जोर है।
दर्ज है काला चिट्ठा
मुगलों के दरबारी इतिहासकार साकी मुस्ताद खान ने औरंगजेब पर एक प्रमाणिक किताब लिखी है। इस किताब में आक्रांत औरंगजेब का अत्याचारों का पूरा कच्चा चिट्ठा दर्ज है। किताब का नाम मासिर-ए-आलमगीरी था। किताब के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई हिंदू विरोधी फरमान जारी किए। मासिर-ए-आलमगीरी में दर्ज तथ्यों के मुताबिक 1669 को औरंगजेब ने काशी के प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने के आदेश दिए…इसी मंदिर को तोड़कर यहां पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करवाया गया, जिस पर आज पूरे देश में घमासान छिड़ा है। मासिर-ए-आलमगीरी के मुताबिक 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने अपने सभी प्रांतों के गवर्नर को आदेश जारी किए कि हिंदुओं के सभी स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाए।
मथुरा का मंदिर तोड़ा
जनवरी 1670 में औरंगजेब ने मथुरा में देहरा केशव राय मंदिर को तोड़ने के आदेश दिए। ये वही जगह थी जहां कंस के कारागार में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसी मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया जो आज शाही ईदगाह की शक्ल में सामने खड़ी है। मंदिर तोड़े जाने से भी औरंगजेब को चैन नहीं था। उसने जनवरी 1670 में एक आदेश दिया था। उस आदेश में साफ लिखा था कि मथुरा के मंदिरों से जो भी मूर्तियां निकलें उन्हें आगरा के लालकिले में बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में लगवा दिया जाए। इतिहास के एक औऱ दस्तावेज अखबरात के मुताबिक 7 अप्रैल 1670 को मालवा से एक खबर आई कि वजीर खान ने अपने एक गुलाम को उज्जैन के आसपास सभी मंदिर को नेस्तनाबूद करने के लिए भेजा।
दंग रह जाएंगे किस्से जानकर
इतना ही नहीं औरंगजेब ने अपने शासनकाल में गुजरात के सोमनाथ मंदिर को भी दो बार तोड़ने के आदेश जारी किए। पहली बार 1659 में और दूसरी बार 1706 में सोमनाथ मंदिर को जमींदोज करने का फरमान सुनाया गया। मुराक़त ए अबुल हसन के मुताबिक अपने शासनकाल के 10-12 सालों में ही औरंगजेब ने हर उस मंदिर को तुड़वा दिया जिसे ईट या मिट्टी से बनाया गया था।औरंगजेब का कैरेक्टर कितना अत्याचारी था। इसका एक और किस्सा सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे। ये औरंगजेब की मौत से एक साल पहले की बात है। औरंगजेब की उम्र 88 साल हो चुकी थी। उसे पता चलता है कि कुछ हिंदुओं ने सोमनाथ के खंडित मंदिर में भी पूजा अर्चना शुरू कर दी है। बस फिर क्या था इसके बाद औरंगजेब ने बाकी हिस्से को भी ध्वस्त करा दिया।
हर तरफ मौजूद हैं सबूत
इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा, बुंदेलखंड, राजस्थान और गुजरात में भी कई प्राचीन मंदिर तुड़वा दिए गए। ये कोई कोरी लफ्फाजी नहीं है बल्कि इस बात का उल्लेख औरंगजेब को महान बताने वाले कई इतिहासकारों ने खुद किया है। मासिर-ए-आलमगीरी एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें औरंगजेब की हिंदू विरोधी सारी काली करतूत कैद है। मासिर-ए-आलमगीरी के ही एक और प्रमाण के मुताबिक एक बार जब औरंगजेब चित्तोड़ पहुंचा तो उसने वहां कई मन्दिरों में हिन्दुओं को पूजा करते हुए देखा। जिसके बाद उसने चित्तौड़ के 63 मन्दिरों को ध्वस्त करा दिया।
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